रिटायर्ड सैनिक ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में बताया ये कारण
राजधानी दिल्ली में एक रिटायर्ड सैनिक ने आत्महत्या कर ली है। इस सैनिक का नाम रामकिशन ग्रेवाल बताया जा रहा है। रामकिशन पिछले कुछ महीनों से वन रैंक वन पैंशन की मांग को लेकर अपने साथियों के साथ मिलकर जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे। रामकिशन के परिजनों के मुताबिक मंगलवार दोपहर रामकिशन अपने साथियों के साथ रक्षामंत्री से मिलने जाने वाले थे लेकिन रास्ते में ही रामकिशन ने ज़हर खा लिया। रक्षामंत्री को देने वाले इस ज्ञापन के नीचे रामकिशन ने लिखा है कि मैं मेरे देश के लिए, मेरी मातृभूमि के लिए और मेरे देश के वीर जवानों के लिए आत्महत्या कर रहा हूं। बता दें कि सरकार की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ज़हर खाने की सूचना रामकिशन ने ख़ुद घर पर दी थी
रामकिशन के छोटे बेटे के मुताबिक, उसके पिता ने ज़हर खाने की सूचना खुद फोन करके उसे दी थी। ज़हर खाने के बाद रामकिशन को राम मनोहर लोहिया अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान मंगलवार देर रात रामकिशन की मौत हो गई। रामकिशन के बेटे का आरोप है कि वन रैंक-वन पेंशन लागू करने में सरकारी की नाकामी से परेशान होकर उनके पिता ने ऐसा कदम उठाया है। इस मामले पर डीसीपी नई दिल्ली जतिन नरवाल का कहना है कि रामकिशन ने ज़हर खाया था। उनके ग्रुप में तीन लोग थे हालांकि जो लोग ओआरओपी को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। रामकिशन के पास जो डिमांड नोट मिला है उसके कंटेंट को वेरीफाई किया जा रहा है।
केजरीवाल का मोदी सरकार पर हमला
वहीं दूसरी ओर दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने रामकिशन की मौत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। केजरीवाल ने एक ट्विटर के ज़रिए मोदी सरकार को घेरा। अपने ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा मोदी राज में किसान और जवान दोनों आत्महत्या कर रहे हैं।
बता दें कि केजरीवाल रामकिशन के परिवार वालों से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे थे।
क्या है OROP ?
बता दें कि साल 2006 से पहले रिटायर हुए सैन्य कर्मियों को कम पेंशन मिलती थी। यहां तक कि अपने से कम रैंक वाले अफसर से भी कम है। इसी अंतर को खत्म करने के लिए ’वन रैंक वन पेंशन’ योजना लाई गई। वन रैंक वन पेंशन’ का मतलब होता है अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो फौजियों को समान पेंशन देना। उदाहरण के लिए योजना इस तरह बनाई गई है कि जो अफसर कम से कम 7 साल कर्नल की रैंक पर रहे हों उन्हें समान रूप से पेंशन मिलेगी। ऐसे अफसरों की पेंशन 10 साल तक कर्नल रहे अफसरों से कम नहीं होगी, बल्कि उनके बराबर ही होगी। फिलहाल रिटायर होने वाले लोगों को उनके रिटायरमेंट के समय के नियमों के हिसाब से पेंशन मिलती है। यानी जो लोग 25 साल पहले रिटायर हुए हैं उन्हें उस समय के हिसाब से पेंशन मिल रही है जो बहुत कम होती है। देश में तकरीबन 25 लाख से ज्यादा रिटायर्ड सैन्यकर्मी हैं।