Wednesday, September 20th, 2017 17:58:04
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कौन था अयूबी, जिसकी तलवार से पाक ने भारत को डराया




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उरी हमले के बाद भारत ने पाक को जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का सहारा लिया जिसमें सैनिकों ने पाकिस्तान में घुसकर करारा जवाब दिया। भारत की इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के अलग-अलग तरीके के रिएक्शन सामने आ रहे हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इस बार पाकिस्तान ने भारत को गुब्बारे के जरिए नई धमकी दी है। ये गुब्बारे पंजाब के सीमावर्ती इलाकों समेत कई और जिलों में भी पाए गए हैं। ये खत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों और कुछ ग्रामीणों को भी मिले हैं। आइए आपको बताते हैं पाकिस्तान ने इस गुब्बारे के साथ क्या धमकी दी है-

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मोदी जी ! अयूबी की तलवारें अभी हमारे पास हैं। इस्लाम जिंदाबाद!

पाकिस्तान की इस धमकी का भारत क्या जवाब देता है, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन हम आपको बताते हैं अयूबी और उसकी तलवार के बारे में। आखिर कौन है अयूबी जिसकी तलवार के दम पर पाकिस्तान ने भारत को इतनी बड़ी धमकी दी।

अयूबी मिस्त्र का एक सुल्तान था। जिसने बाद में सीरिया और अयूबी वंश की स्थापना की। इसका पूरा नाम सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी यूसुफ इब्न अरूयूब था। दुनिया उसे सलादीन के रूप में जानती थी। सलादीन को 1163 में नूर दीन द्वारा फातिमी मिस्त्र के लिए भेजा था। सलादीन अपनी सैन्य सफलताओं के आधार पर फातिमी सरकार की नज़रों में चढ़ गया। सलादीन के चाचा शिरूख की 1169 में मौत हो गई। तब अल अदीद के वज़ीर के रूप में सलादीन को नियुक्त किया गया था। वजीर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सलादीन ने फातिमी सत्ता को कमज़ोर करने के प्रयास शुरू कर दिए थे और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने लगा। कुछ समय बाद नूरदीन की मौत के बाद उसने वहां अपनी सत्ता स्थापित की और सीरिया की विजय का नेतृत्व किया।

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सुल्तान सलादीन अयूबी, विश्व के प्रसिद्ध महान विजेताओं व शासकों में से एक है। उसकी तलवार का जौहर ऐसा था कि वो चट्टान को भी काट दे। सलादीन 1138 ईस्वी में इराक के तिकरीत शहर में पैदा हुआ था। उनके नेतृत्व में अय्यूबी साम्राज्य ने मिस्र, सीरिया, यमन, इराक, हिजाज़ और दयार बक्र पर शासन किया। सलाहुद्दीन अय्यूबी को बहादुरी, उदारता और विवेक के कारण न केवल मुसलमान बल्कि ईसाई भी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। सलाहुद्दीन को बैतुल मुक़द्दस का विजेता कहा जाता है जिन्होंने 1187 में यूरोप की संयुक्त सेना को बुरी तरह हराकर बैतुल मुक़द्दस को स्वतंत्र करा लिया था। मिस्र के बाद सलाहुद्दीन ने 1182 ई. तक सीरिया तथा उसके कई पर क़ब्ज़ा करके उन्हें अपने साम्राज्य में जोड़ लिया।

मिस्र के बाद सलाहुद्दीन ने 1182 ई. तक सीरिया तथा उसके कई हिस्सों पर क़ब्ज़ा करके उन्हें अपने साम्राज्य में जोड़ लिया। वर्ष 1187 ईसवी को हेट्टीन के स्थान पर इतिहास का सबसे भयानक युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध के परिणाम में तीस हजार ईसाई योद्धा मारे गए और इतने ही बंदी बना लिए गए। सलीबी युद्ध का कमांडर गिरफ्तार हुआ और सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपने हाथ से उसका सिर कलम किया। इस युद्ध के बाद इस्लामी सैनिक ईसाई क्षेत्रों पर छा गये।

हेट्टीन की जीत के बाद सलाहुद्दीन ने बैतुल मुक़द्दस की ओर रुख किया एक सप्ताह तक भयंकर युद्ध के बाद ईसाइयों ने हथियार डाल दिए और दया का अनुरोध किया। बैतुल मुक़द्दस पूरे 88 साल बाद फिर मुसलमानों के कब्जे में आया और सभी फिलिस्तीनी क्षेत्रों से ईसाई सरकार का अंत हो गया। इस्लामी इतिहास में सलाहुद्दीन का यह सब से बड़ा कारनामा समझा जाता है।

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बैतुल मुकद्दस पर क़ब्ज़े के लिए मुसलमानों और ईसाइयों में कई भयानक लड़ाइयां हुईं किंतु अन्ततः बैतुल मुक़द्दस पर मुसलमानों का क़ब्ज़ा हुआ और बैतुल मुक़द्दस पर लगभग 761 साल लगातार मुसलमानों का कब्जा रहा। 1948 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस की साजिश से फिलिस्तीन के क्षेत्र में यहूदी राज्य की स्थापना की गई और बैतुल मुक़द्दस आधा यहूदियों के कब्जे में चला गया।

1967 के अरब इजरायल युद्ध में बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल ने कब्जा कर लिया। इस्लामी जगत में सलाहुद्दीन को एक वीर योद्धा के रूप में याद किया जाता है किंतु मुसलमानों के प्रति उनका व्यवहार अच्छा नहीं था और मिस्र में अपने शासन के दौरान उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ कई बड़े और कड़े फैसले किये। उन पर वर्तमान सीरिया के हलब या एलेप्पो में नरसंहार करने का भी आरोप लगाया जाता है। उन्होंने मिस्र में फातेमी शासन श्रंखला का अंत किया जिसने उन्हें मंत्री बना कर शक्ति प्रदान की थी।

वर्ष 1193 में सीरिया के दमिश्क़ नगर में उनका देहान्त हुआ और वहीं उन्हें दफ्न कर दिया गया। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने बहुत बड़े और शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की थी किंतु अपने बाद अपना राजपाट अपने तीन बेटों में बांट दिया जिससे यह साम्राज्य अत्याधिक कमज़ोर हो गया और बहुत जल्दी अय्यूबी शासन का पतन हो गया।

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