‘शिक्षक दिवस पर उन्हे सलाम जिन्होंने जीवन किया देश के नाम’
भारत तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में आज जो स्थान रखता है इसका श्रेय विज्ञान के उन गुरुओं को जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्तिशली बनाया और जीने का आधुनिक और उन्नत स्तर बताया। शिक्षक दिवस पर जानते हैं उन गुरुओं को जिनके ज्ञान ने हमारा जीवन बदल कर रख दिया।
एपीजे अब्दुल कलाम- भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल हुए। कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। उन्हीं के प्रयासों की वजह से भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। खास बात यह है कि इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया।
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