भारत के खिलाफ चीन-पाक की मिलीभगत, रोका ब्रह्मपुत्र नदी का पानी
पेइचिंग। जहां एक तरफ उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल समझौते के तहत होने वाली बैठक रद्द कर दी थी वहीं चीन ने भारत की चिंता बढ़ा दी है जी हां चीन ने तिब्बत में ब्रहापुत्र नदी की एक सहायक नदी पानी रोक दिया है वह यहां एक हाईड्रो प्रॉजेक्ट लगा रहा है। चीन के इस कदम से भारत के असम, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में पानी की आपूर्ति में कमी आ सकती है। भारत के लिए यह बेहद चिंता की बात होगी क्योंकि चीन के इस कदम से भारत समेत कई देशों में ब्रहापुत्र के पानी के बहाव पर असर पड़ सकता है। चीन के इस रूख से आशंका जताई जा रही है कि कहीं वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत पर जवाबी दबाव तो नहीं बना रहा। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने यह जानकारी दी। ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे चीन के इस हाइड्रो प्रोजेक्ट पर करीब 7 हजार 400 करोड़ डॉलर की लागत आ रही है। इसी के चलते चीन ने इस नदी को रोक दिया है।
यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है। इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केंद्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी। ब्रह्मपुत्र पर भारत के एक अंतर-मंत्रालय विशेषज्ञ समूह (आइएमइजी) ने 2013 में कहा था कि ये बांध ऊपरी इलाके में बनाए जा रहे हैं। समूह ने निचले इलाकों में जल के प्रवाह पर इनके प्रभाव के मद्देनजर इनपर निगरानी का आह्वान किया था। समूह ने रेखांकित किया था कि तीन बांध- जिएशू, जांगमू और जियाचा एक दूसरे से 25 किलोमीटर के दायरे में और भारतीय सीमा से 550 किलोमीटर की दूरी पर हैं। 2013 में बनी सहमति के अनुसार चीनी पक्ष ब्रह्मपुत्र की बाढ़ के आंकड़े जून से अक्टूबर के बजाय मई से अक्टूबर के दौरान प्रदान करने में सहमत हुआ था। 2008 और 2010 के नदी जल करारों में जून से अक्तूबर के दौरान आंकड़े प्रदान करने का प्रावधान था।