कहीं आप भी तो नहीं हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग की लिस्ट में
अक्सर पैरेंट्स अपने लाड़ले या लाड़ली के आसपास हमेशा मंडराते रहते हैं। बच्चों का हर काम खुद ही करते हैं। उनके हर छोटे-बड़े काम में बच्चों से ज्यादा खुद इन्वॉल्व रहते हैं। कई बार तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि बच्चे को अपने बारे में उतना पता नहीं होता, जितना पैरेंट्स को होता है। पैरेंट्स का प्यार-दुलार और हर काम में बच्चे की मदद करना अच्छी बात है। इसे लेकर आप यह सोचते हैं कि आपको बच्चों से बहुत प्यार है,इसलिए आप उसकी इतनी परवाह करते हैं, तो जरा ध्यान दीजिए । आपका ये एक्स्ट्रा प्यार और केयर बच्चे के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं। ये बिहेवियर आपको हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग की लिस्ट में शामिल करता है। दरअसल, इस तरह के पैरेंट्स जो हर पल साये की तरह अपने बच्चों के आगे-पीछे घूमते रहते हैं, उनकी पसंद- नापसंद को तय करते हैं, साइकोलॉजिकल लैंग्वेज में ऐसे पैरेंट्स को हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग का नाम दिया गया है। काउंसलर शिल्पा राठी के अनुसार आजकल पैरेंट्स बच्चों को लेकर बहुत ज्यादा पजेसिव हो गए हैं। लेकिन ये गलत है ऐसा करना बच्चे को कमजोर बना देता है। उनकी यही आदत बच्चे को मानसिक रूप से कभी बड़ा होने नहीं देती। इनसे बचना ही सही तरीका है।
उन्हें रिमोट कंट्रोल न बनाएं-
अगर बच्चे का सही डवलपमेंट चाहते हैं तो बहुत जरूरी है कि उसे अपना रिमोट कंट्रोल न बनाएं। उसे अपने डिसीजन खुद ही लेने दें।
क्या करें-
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसे अपनी तरह से बढ़ऩे दें। हर बात पर रोक-टोक से वो बिल्कुल आप जैसा ही बन जाएगा और उसकी पसर्नालिटी डवलप नहीं हो पाएगी।
बॉडी गार्ड बनने से बचें-
बच्चे को गिरने से उठाना और हमेश उसकी तरफदारी करना जैसी बातें बच्चे को कमजोर बना देती हैं और बच्चा पूरी तरह पैरेंट्स पर डिपेंड हो जाता है। जो उसके डवलपमेंट के लिए अच्छा नहीं है।
क्या करें-
बॉडीगार्ड की तरह उसके आसपास रहना बंद करें। उन्हें छोटी-मोटी मुश्किलों से खुद जूझने दें। ऐसे ही उनका आतम्विश्वास बढ़ेगा।
खुद डिसीजन न लें-
बच्चों की पढ़ाई से संबंधित हो या फिर उनके करियर से संंबंधित कोई भी डिसीजन खुद न लें। ये बच्चे को डिसाइड करने दें कि वह क्या करना चाहता है। स्कूल का लास्ट सेशन खत्म होने के बाद अक्सर ऐसी समस्याएं देखी जाती हैं।
क्या करें-
बड़े होने पर पहले बच्चे की राय जानें और उनके अनुसार ही चलें। भूलकर भी अपनी राय उन पर न थोपें।
ओवर हाईजेनिक न बनें-
ये तो सच है कि गंदगी बीमारियां फैलाती हैं, लेकिन हर समय अपने बच्चे के लिए साफ-सफाई करना , उसे बाहर दूसरे बच्चों के साथ पार्क में खेलने से रोकना , घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनाना बच्चे की लिए बहुत परेशानी बन जाती है। वो पैरेंट्स की बात मान तो लेता है , लेकिन मन ही मन बहुत परेशान रहता है। आपका ऐसा बिहेवियर भविष्य मे उसे चिड़चिड़ा और कमजोर बना देता है।
स्मार्ट टिप्स-
– बच्चों के लिए टाइम-टेबल जरूर बनाएं, लेकिन बच्चों को ही टाइम टेबल न बनाएं।
– बार-बार की रोक-टोक से बचना चाहिए।
– बचपन से ही उन पर सबसे अच्छा बनने का बोझ न डालें।
– उनकी सेहत का ख्याल जरूर रखें, लेकिन हर चीज खाने से मना न करें।
– हद से ज्यादा प्यार दिखाने की कोशिश भी बच्चों को कमजोर बनाती है।
– घर से बाहर निकलने पर हर समय बच्चों के साथ जाना बच्चों पर गलत असर डालता है।
– बचपन से ही केवल पढ़ाई के लिए प्रेशर डालना गलत है, इससे बच्चा हर समय प्रेशर में रहता है। बेहतर है आप बच्चों के सपोर्टिव पैरेंट बनें हेलिकॉप्टर पैरेंट नहीं।
|