परित्याग के बाद देवी सीता ने यहां ली थी शरण, अगस्त तक तैयार होगा भव्य मंदिर
बताया जाता है कि पंजाब के प्रसिद्ध रीमतीरथ मंदिर का संबंध रामायण काल और रामवंशियों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। कहते हं यहां इस महाकाव्य के रचियता वाल्मिकि का आश्रम हुआ करता था। माना जाता है कि उन्होंने रामायण के कई महत्वपूर्ण अध्यायों को यहीं पर लिपिबद्ध किया गया था। अमृतसर से केवल 11 किमी दूर अव्यवस्थित इस तीर्थस्थान के बारे में यह कहा जाता है कि श्रीरराम द्वारा परित्याग करने के बाद देवी सीता ने यहीं शरण ली थी। लव और कुश का जन्म , उनकी शिक्षा-ञ्दीक्षा और परिक्षण भी हुआ करता था।
अगस्त तक बनकर तैयार होगा मंदिर-
उम्मीद है कि अमृतसर स्थित पंजाब सरकार करी यह धार्मिक परियोजना करूणासागर वाल्मिकि तीर्थ स्ािान अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगी। इसी परिसर में प्रसिद्ध रामतीर्थ मंदिर स्थित है।
विशेष आर्किटेक्ट पैटर्न पर बन रहा है तीर्थस्थल-
पंजाब सरकार ने इस परियोजना ओ के लिए 185 करोड़ रूपए का बजट रखा है। जिसका काफी धार्मिक और एतिहासिक महत्व है। तीर्थस्थान का डिजाइन अलग पहचान बनाने के लिए विशेष रूप से अलग पैटर्न पर बनाया गया है। मङ्क्षदर का निर्माण पीडब्ल्यूडी विभाग करा रहा है और आर्किटेक्ट सलाहकार अमृतसर के गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी का आर्किटेक्चर विभाग है।
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