सरल, सुखद, सफल जीवन के लिए कृष्ण के सूत्र
कृष्ण का शाब्दिक अर्थ कर्षण से निकलता है। जो अपनी ओर आकर्षित करता है। वास्तविकता भी यही है कि जो कृष्ण को समझता है, वह उनके प्रति आकर्षित हुए बिना रह नहीं पाता। भगवान, कर्मयोगी, प्रेमी, राजा और एक अद्भुत बालक के रूप में कृष्ण जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही एक असाधारण गुरु के रूप में भी हैं।
कृष्ण के शाब्दिक अर्थ से ही गुरु का अर्थ भी मेल खाता है। यों तो गुरु का अर्थ बड़ा माना जाता है और है भी लेकिन इसकी दार्शनिक व्याख्या इस तरह से भी होती है- गुरु अर्थात केंद्र। गुरुत्वाकर्षण अर्थात गुरु के प्रति आकर्षण। केंद्र के प्रति खींचने वाला बल। तो कृष्ण ही गुरु हैं, गुरुत्वाकर्षण हैं।
कृष्ण के जन्म, बाल लीलाओं, कंस वध, रास, शासनकाल और अर्जुन के सारथी कृष्ण के गीतोपदेश अर्थात उनका पूरा जीवन ज्ञान देने के प्रतीक रूप में ही समझा जाता है। जहां उनके जन्म की घटना मनुष्य के पूर्ण स्वतंत्र होने का आदर्श स्थापित करती है, वहीं बाल एवं किशोर अवस्था के उनके विविध जीवन प्रसंग वीरता, सहिष्णुता, विचार, दया, मैत्री, प्रेम आदि संदेशों के सूत्र हैं। कृष्ण के उपदेशों और जीवन लीलाओं से ऐसे अनेकानेक सूत्र प्रकट होते हैं जिन पर आज तक ज्ञानी विचार कर रहे हैं और करते रहेंगे क्योंकि ये चेतना के सोपानों पर अपनी नूतन व्याख्याएं उजागर करने वाले सूत्र हैं। ऐसे ही कुछ सूत्रों पर विचार करते हैं जो आश्चर्यजनक रूप से वर्तमान समय में हमारे जीवन को दिशा तो देते ही हैं, हमारे जीवन को अति सरल भी बनाते हैंः
1. ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन होता है।’- हर समय तर्कपूर्ण ढंग से समझने की कोशिश करें। जब आप यह समझ लेंगे कि हर व्यक्ति एक अलग सत्ता है और आपकी तरह वह भी स्वतंत्र है तब आप उसे समझने का प्रयत्न करेंगे, उसे शासित करने का नहीं। क्रोध के उपजने के कारणों पर विचार कर उन कारणों को नष्ट करने का यत्न करें। परिवार हो या समाज, कार्यक्षेत्र हो या कोई और स्थान, औचित्यपूर्ण व्यवहार करें।
2. ‘ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है।’ थ्री इडियट्स का रैंचो जब यह बात करता है तब एक फिल्म लगभग 300 करोड़ रुपये का व्यवसाय कर लेती है। आपके ज्ञान का क्षेत्र और कर्म का क्षेत्र अलग नहीं हो सकता। फिर एक स्थान पर कृष्ण यह भी कहते हैं कि कर्म करना निष्क्रिय रहने से बेहतर है। यानी अंग्रेज़ी की कहावत “To do something is better than to do nothing”। या फिर बुद्ध और अन्य विद्वानों के नाम से जो वाक्य कोट किया जाता है- मनुष्य जो विश्वास करता है, वैसा बन जाता है। यह भी वास्तव में कृष्ण का ही कथन है। खुद पर विश्वास करो, उसी के अनुसार ज्ञान अर्जित करो और वही कर्म करो। सफलता की कुंजी है।
3. ‘ये सब हमेशा थेए हमेशा रहेंगे।’- युद्ध के समय जब अर्जुन प्रश्न करते हैं कि वे कैसे अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करें तब कृष्ण कहते हैं कि वास्तव में ऐसा कोई समय नहीं था जब ये सभी नहीं थे और न ही ऐसा कोई समय होगा। इसका अर्थ यह है कि विपरीत परिस्थितियां तो हमेशा रही हैं और रहेंगी लेकिन व्यक्ति को इनसे घबराना या विचलित नहीं होना चाहिए। परिवार, समाज और व्यवस्था को कठिनाई मानकर समझौता कर लेना सरल है लेकिन जिस पर आप विश्वास करते हैंए उस मार्ग पर चलना, सभी अवरोधों से लड़ते हुए, कठिन है। जो कठिन कार्य कर लेता हैए वह स्मरणीय हो जाता है। Fortune favours brave यानी भाग्य भी वीरों का साथ देता है।
4. ‘जब तुम अपने कार्य में आनंद खोज लेते हो तब पूर्णता प्राप्त करते हो।’- अपने काम को तनाव समझना या यह समझना कि आप किसी और के लिए यह कार्य कर रहे हैंए उस कार्य में अरुचि पैदा करता है। आप अपना ही काम कर रहे हैं, किसी और का नहीं। आप वही काम कर रहे हैं जो आप करना चाहते हैं या कर सकते हैं तो आपको आनंद होगा ही। नहीं है तो अपने बारे में मंथन करें। आनंद के साथ किये गये कार्य से आप संतुष्टि एवं निपुणता प्राप्त करते हैं और यही जीवन का सुख है।
5. थ्योरी ऑफ डार्विन- पश्चिमी विद्वान चार्ल्स डार्विन जिस विचार के लिए प्रख्यात हैं, वह विचार वास्तव में कृष्ण के गीता उपदेश का है। कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि श्रेष्ठ प्राणी को ही जीवन का अधिकार मिलता है। और इसके आगे उन्होंने श्रेष्ठता को भी परिभाषित किया। हिंदी के सुविख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठ निराला एक कविता ‘जागो फिर एक बार’ में लिखते हैं-
श्रेष्ठ मनुज ही जीता है
पश्चिम की उक्ति नहीं
याद करो गीता है!
इन सूत्रों के अलावा और भी बहुत से ऐसे सूत्र हैं जो कृष्ण के जीवन और वचनों में अंतर्निहित हैं। कुछ आप जानते ही हैं और कुछ यहां फिर बताये जाते हैं- मां को सर्वोपरि मानें, आस्थावान बनें, अंतरात्मा को सुनें, अपनी दृष्टि सत्य व कल्याण से ओतप्रोत रखें, मैत्री और प्रेम में विश्वास करें, दोहरे चरित्र का व्यक्तित्व न रखें, शांत मन से विचार करें, उचित कार्य करें बिना नतीजा सोचे, सभी के साथ समानता का दृष्टिकोण व व्यवहार रखें, परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहें, पूरे विश्वास व समर्पण से कर्म करें और बड़े आदर्श या मानक स्थापित करें जैसा कि कलाम साहब कहा करते थे ‘छोटा स्वप्न देखना अपराध है, बड़ा सोचें’।
कृष्ण को भगवान कम एक संपूर्ण गुरु समझें और उन्हें समझने के लिए गीता अवश्य पढ़ें। वैसे तो गीता के अनेक प्रकार के पाठ इंटरनेट व कई किताबों में उपलब्ध हैं लेकिन तिलक रचित गीता रहस्य पढ़ना एक अद्भुत अनुभव है। उसके बाद स्वामी विवेकानंद के वक्तव्यों को पढ़ें। उन्होंने गीता के ज्ञान को अंतर्दृष्टि से समझकर सरल व्याख्या दी है। कृष्ण के प्रेम, भक्ति और उदात्त मन का संदेश समझने के लिए सूरदास रचित भ्रमर गीत पढ़ना आपके लिए संजीवनी होगा। इन अध्ययनों से आप बहुत सी बातें समझेंगे। उनमें से एक यह कि आप पश्चिम के ज्ञान के मोह से मुक्त होना सीखेंगे और पाएंगे कि भारत और दुनिया के कितने विद्वान कृष्ण के कथनों को प्रस्तुत कर महान विचारक कहलाये।
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