सामाजिक बंधन में जकड़ी महिलाएं, लड़कियों को नहीं है इंटरनेट की आजादी
गांव ही नहीं बल्कि शहरों में भी लड़कियां सामाजिक बंधन में जकड़ी हुई हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यांवयन मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के सर्वे के मुताबिक कंप्यूटर, इंटरनेट और ई-मेल के इस्तेमाल में युवतियां पुरूष के मुकाबले काफी पीछे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि गांव हो या शहर अभी भी समाज की सोच नहीं बदली है। लड़कों के लिए ज्यादा संभावनाएं हें। इसलिए लड़कियां पीछे हैं। जानकार मानते हैं कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने में लड़कियों को इतनी आजादी नहीं है। उन पर लड़कों के मुकाबले ज्यादा रोक टोक लगाई जाती है।
267 परिवारों तक ही है इंटरनेट की पहुंच-
एनएसएसओ 2015 का सर्वे कहता है कि गांवों और शहरों में कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुंच है। मगर गांव और शहरों में एक चीज पर सामानता है कि वहां लड़कियां लड़कों के मुकाबले पीछे हैं। देश के ग्रामीण और शहरों में मिलाकर प्रति हजार में से सिर्फ 137 परिवारों में ही कम्प्यूटर की सुविधा है। वहीं इंटरनेट की सुविधा सिर्फ प्रति एक हजार परिवारों में से सिर्फ 267 परिवरों तक ही इंटरनेट की पहुंच है। बिहार, उत्तर प्रदश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ में कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधा सबसे कम परिवारों में है।
खुद बचना चाहती है सोशल मीडिया से-
समाज सेवी डॉ.अहमद खान के मुताबिक गांव और शहरों में सामाजिक संस्कार की वजह से कम्प्यूटर और इंटरनेट लड़कियों की पहुंच कम हो सकती है। लड़कियां खुद ही फेसबुक और व्हॉट्सऐप से बचना चाहती हैं। खासकर पढ़ाई में अच्छी लड़कियां भी परहेेज करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर लड़कियां आपने मां-बाप की इच्छा पर पढ़ रही हैं। 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़ शादी कर लेती हैं। इन सब वजहों से भी वे कम्प्यूटर और इंटरनेट में पुरूषों से पीछे हैं। बावजूद इसके विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल इंडिया की बात करने से पहले महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।
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