अब क्या होगा एयर इंडिया का, सरकार की नज़र हुई तिरछी
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार राष्ट्रीय यात्री विमानन कंपनी एयर इंडिया के परिचालन से बाहर निकलने की योजना बना रही है. जेटली ने DD न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि जेट एयरवेज, इंडिगो, गोएयर जैसी कई निजी एविएशन कंपनियां हैं. अगर 86% विमानन बाजार निजी क्षेत्र संभाल सकता है, तो 100% भी निजी क्षेत्र द्वारा चलाया जा सकता है. जेटली ने विस्तार से अपनी बात कही कि एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 14% है और उस पर 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि उसके विमानों का मूल्यांकन 20,000-25,000 करोड़ रु. ही होगा, इस हेतु नागरिक विमानन मंत्रालय सभी संभावनाएं तलाश रहा है.
सिन्हा भी दे चुके हैं ये राय
नागरिक विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने पहले कहा था कि एयर इंडिया की देनदारियों को कम करने की जरूरत है तथा इसमें वित्तीय परिवर्तन के लिए बैलेंस शीट के पुर्नगठन की भी जरूरत है. सिन्हा ने कहा था कि एयर इंडिया में कॉर्पोरेट प्रशासन तथा बेहतर प्रबंधन को लागू करने की भी जरूरत है. इसके अलावा यह भी देखा जाना चाहिए कि एयर इंडिया की गैर-महत्वपूर्ण संपत्तियों का किस प्रकार से सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया जा सकता है.
2007 के बाद कंपनी ने पहली बार लाभ दिखाया था
एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में 105 करोड़ रु. के परिचालन लाभ का दावा किया. ईंधन खर्च में कमी और यात्री संख्या में बढोतरी के साथ कंपनी ने 10 साल में पहली बार परिचालन लाभ दिखाया. वित्तीय स्थिति सुधारने में लगी इस एयरलाइन को वर्ष 2014-15 में परिचालन कार्य में 2,636 करोड़ रु. की हानि हुई थी. इसी दौरान इसकी आय घटकर 20,526 करोड़ रु. रही, जो 1 साल पहले 20,613 करोड़ रु. थी. 2007 के बाद कंपनी पहली बार परिचालन लाभ में आई.
CAG ने कहा मुनाफा नहीं घाटा है
भारत के नियंत्रण एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने कहा था कि एयर इंडिया को पिछले वित्त वर्ष में परिचालन मुनाफे के बजाय वास्तव में 321.4 करोड़ रु. का परिचालन घाटा हुआ. एयरलाइन ने इससे पहले वर्ष के दौरान परिचालन मुनाफा होने की जानकारी दी थी. CAG ने हालांकि, यह स्पष्ट किया कि इसमें आंकड़ों का कोई हेरफेर नहीं हुआ है, बल्कि एयरलाइन ने जो आंकड़े रिपोर्ट किए हैं वे वास्तव में घाटे को कम करके बताए गए है.
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