काला धन, टैक्स हैवन, कानून और नैतिकता
आइये जानते हैं टैक्स हैवन के बारे में सबकुछ। यह भी कि टैक्स हैवन में रखा सारा धन जरूरी नहीं कि काला धन भी हो।
पनामा पेपर लीक्स ने अच्छे अच्छों की नींद उड़ा दी है। काला धन वापस लाने के मुद्दे पर सत्ता में आई भाजपा सरकार के लिये इसने बड़ी उहापोह वाली स्थिति बना दी है। आइसलैंड के प्रधानमंत्री समेत दुनिया के कई दिग्गजों को टैक्स हैवन में धन रखने की वजह से अपना पद छोड़ना भी पड़ा। भारत से सबसे अधिक चौंकाने वाला नाम रहा सदी के महानायक कहे जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन का। जिस वक्त अमिताभ का नाम इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने छापा, उस वक्त उनका नाम अतुल्य भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में चर्चा में था। जाहिर है अमिताभ ने इससे इनकार किया लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने एक कदम आगे बढ़कर वो रिकार्ड जारी कर दिये जिनके मुताबिक अमिताभ टैक्स हैवन वाली कंपनियों की बोर्ड मीटिंग में शामिल हुए थे।
बहरहाल, यहां हमार उद्देश्य अमिताभ बच्चन या उनके कथित काले धन के बारे में बात करना नहीं है। हम यहां जानेंगे कि ये टैक्स हैवन क्या होते हैं? ये कैसे काम करते हैं? यह भी कि क्या हमेशा इन देशों में धन रखना गैर कानूनी ही होता है?
क्या हैं टैक्स हैवन?
टैक्स हैवन दरअसल वे देश होते हैं जहां कारोबार करने वाली या रजिस्टर्ड कंपनियों पर न के बराबर टैक्स लगता है या फिर टैक्स लगता ही नहीं है। इन देशों में अक्सर यह नियम होता है कि टैक्स तभी लगेगा जब आय इन देशों में पैदा हुई हो। दुनिया भर के अमीर लोग इस नियम का फायदा उठाते हुए अपनी कंपनियों का पंजीकरण इन देशों में करा लेते हैं। फिर दुनिया भर में कारोबार करते हैं। चूंकि कोई आय वहां नहीं पैदा होती है इसलिये वहां उनको कर नहीं देना पड़ता। जिस देश में कारोबार करते हैं वहां सीमित कर लगता है क्योंकि कंपनी दूसरे देश में रजिस्टर्ड है। इसके अलावा इन देशों में विदेशी धन पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसलिए भी लोग यहां अपना पैसा छिपाते हैं।
कौन से देश हैं टैक्स हैवन?
दुनिया में 50 से अधिक देश टैक्स् हैवन के रूप में काम करते हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्था का आधार यही है कि यहां ज्यादा से ज्यादा धन आये। टैक्स हैवन के रूप में स्विटरजलैंड का नाम तो कमोबेश हर भारतीय ने सुन रखा होगा क्योंकि भारतीयों के कालेधन के केंद्र के रूप में स्विस बैंक का नाम बार बार सामने आता है। लेकिन उसके अलावा भी तमाम मुल्क हैं जो टैक्स हैवन के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिये, सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, मारीशस, दुबई, मालदीव, पनामा, कैरेबियाई द्वीप समूह के बहामा, एंटीगुआ, बरमूडा, बारबाडोस, यूरोप में बेल्जियम, ऑस्ट्रिया आदि तमाम देश इस सूची में शामिल हैं।
कैसे होता है काम?
ऐसे देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को साझा करते हैं। ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवन) हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा कर देते हैं। ऐसे देशों में पैसे जमा करने पर वे पैसे जमा करने वाले व्यक्ति या संस्था के बारे में कुछ भी नहीं पूछते। यही कारण है कि टैक्स चोरों के लिए ऐसे देश स्वर्ग जैसे होते हैं, जो अपने देश से पैसे इन देशों में कालेधन के रूप में जमा कर देते कालाधन वह पैसा होता है, जिस पर टैक्स लगने के बावजूद टैक्स नहीं चुकाया जाता है। साथ ही इन देशों में लोग अपनी उस कमाई को भी छुपा देते हैं, जो उन्हें किसी दूसरे देश में स्थित संपत्ति के कारण होती है। इसमें विदेश में स्थित घर से मिलने वाला किराया या अन्य तरह की कमाई भी शामिल होती है। टैक्स हैवन देश वहां पर पैसे जमा करने वाले व्यक्ति की हर जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखते हैं और किसी अन्य देश या एजेंसी के साथ उन जानकारी को साझा नहीं करते। इसी वजह से कई लोग इन देशों में जाकर अपनी कंपनियां शुरू करते हैं ताकि वो इन सब चीजों से बच सकें। अगर ऐसी कंपनियों की बात की जाए तो पनामा में तीन लाख से ज्यादा सीक्रिट इंटरनैशनल बिजनेस कंपनियां रजिस्टर्ड बताई जाती हैं।
आखिर धन विदेश जाता कैसे है?
विदेशों में धन भेजना पहले बहुत आसान था क्योंकि तब इसे रोकने के लिये कोई नियम नहीं था। नियम के मुताबिक कोई भी व्यक्ति विदेश में पढायी, घूमने, इलाज कराने या किसी कंपनी में शेयर खरीदने के लिये धन भेज सकता है। कानून के मुताबिक यह राशि ढाई लाख डालर यानी पौने दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकती। बहरहाल लोगों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया व पुरानी तारीख से कंपनियां टैक्स हैवन देशों में खोल लीं। इस तरह इन्होंने उन कंपनियों के कारोबार के नाम पर पैसे का लेनदेन जारी रखा।
गैर कानूनी है यह?
कानून के जानकारों का कहना है कि टैक्स हैवन में पैसा रखना अनैतिक भले ही हो, यह हर मामले में गैरकानूनी नहीं होता है। यह गैर कानूनी तभी होता है जब आपने अपनी सरकार की नजर में धूल झोंककर वहां पैसे रखे हों। तमाम कारोबारी दुनिया भर में फैले अपने कारोबार का सहारा लेते हुए टैक्स हैवन देशों में भी कुछ धन रख देते हैं। वे वहीं से अपनी कुछ कंपनियां संचालित करते हैं। इसे गैर कानूनी करार देने में तकनीकी अड़चन है।
|