कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उतारा यूपी के मैदान में, आने से होगा ये फायदा
By Satish Tripathi
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा 2017 का चुनाव नेता और पार्टीयों के सर चढ़कर बोलने लगा है। तो इस चुनवी कड़ी में कांग्रेस ने अपना पत्ता भी खोल दिया। और सबसे बड़े प्रदेश के सियासी मैदान में शीला दीक्षित को मैदान में उतार दिया। शीला दीक्षित कांग्रेस की वरिष्ठ लीडरो में से एक मानी जाती हैं। और यह देश की राजधानी की कमान भी खुद संभाल चुकी हैं। तो ऐसे में कांग्रेस ने शीला दीक्षित पर भरोसा करते हुये देश के सबसे बड़े प्रदेश की बागडोर सौंपने का फैसला लिया। उत्तर प्रदेश में पिछले 27 साल से कोई कांग्रेस का कोई वजूद नहीं हैं। तो ऐसे में कांग्रेस ने यूपी में अपनी पंहुच बनाने के लिये प्रोफेशनल का सहारा लिया। प्रशांत किशोर। हालांकि कई महीनो की मीटिंग और जिलो का दौरान करने के बाद पीके ने फैसल किया कि यूपी की बागडोर कांग्रेस को किसी बाह्मण चेहरे को सौंपनी चाहिये।
शीला दीक्षित के आने से ये होगा फायदा
15 सालो तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वाली शीला दीक्षित को कांग्रेस के आलाकमान ने एक बड़ी जिम्मेदारी दे है। कांग्रेस ने जंहा एक ओर शीला दीक्षित को मैदान में उतार कर बाह्मण वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है। यूपी में बाह्मण वोट बैंक की संख्या 14 फीसदी है। जिस पर कांग्रेस की हमेशा से नजर रही है। तो वंही यूपी की राजनीति गलियारो में ये कयास लगाये जा रहें है। कि कांग्रेस ने यूपी की बागडोर महिला कैण्डिडेट शीला दीक्षित को देकर इन्दिरा गांधी की छवि को फिर से एक बार कायम करने के लिये पुरजोर कोशिश की है। आपको बता दें कि कांग्रेस यूपी की सत्ता से 26 साल से वनवास झेल रही है। सूबे में 1989 में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री एनडी तिवारी रहे। कांग्रेस को लगता है कि शीला दीक्षित की बेदाग़ छवि, सभी समाज में स्वीकार्यता और ब्राह्मण चेहरा कांग्रेस की खोई ताकत में जान फूंक सकता है और पार्टी को सत्ता की दहलीज़ तक ला सकता है।
यूपी में महिला कैण्डिडेट का वर्चस्व
यूपी में कांग्रेस ने सीएम उम्मीदवार के लिये महिला कैण्डिडेट को चुनकर विरोधी पार्टीयों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जंहा एक ओर मायावती से शील दीक्षित का सीधा मुकाबला होगा। तो वंही समाजवादी पार्टी में डिम्पल यादव समेत कई सशक्त महिलायें आने वाले विधानसभा चुनाव में यूपी की चुनावी सरगर्मी बढ़ायेगीं। वंही दूसरी तरफ बीजेपी ने अपनी कार्यकारिणी टीम में एक भी महिला को जगह न देकर चुनावी समीकरण में बदलने की राह पर है। तो ऐसे में आज कांग्रेस ने अपना पत्ता खोलकर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
यूपी की बहू हैं शीला दीक्षित
शीला दीक्षित की शादी यूपी के उन्नाव जिले में हुई हैं। शीला दीक्षित के पति आईएएस विनोद दीक्षित हैं। जिनकी पहचान एक दबंग आईएएस के रूप में जानी जाते हैं। विनोद कांग्रेस नेता और बंगाल के पूर्व गवर्नर रमाशंकर दीक्षित के बेटे थे। एक ट्रेन यात्रा के दौरान हर्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी।
कन्नौज से रह चुकी हैं सांसद
शीला दीक्षित 1984 में कन्नौज सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और उन्हें जीत हासिल हुई। इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। शीला दीक्षित 1986 से 1989 तक वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहीं। 1998 में बनी दिल्ली की सीएम 1998 के लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित ने बीजेपी के लाल बहादुर शास्त्री को पूर्वी दिल्ली सीट से हरा दिया। बाद में वह 1998 में ही दिल्ली की सीएम बनीं। वह 2013 तक लगातार सीएम रहीं। 11 मार्च 2014 से 25 अगस्त 2014 तक वह केरला की गवर्नर रहीं और बाद में उन्होने इस्तीफा दे दिया।