जानिए मरने के बाद क्यों विसर्जित करते हैं अस्थियां
इसी बीच यमलोक का दृश्य कुछ और ही था। वहां यमराज के सेवक चित्रगुप्त द्वारा उस व्यक्ति के पापों का हिसाब लगाया जा रहा था। चित्रगुप्त एक-एक करके यमराज को व्यक्ति के पापों का ब्योरा दे रहे थे, जिसके आधार पर उसे विभिन्न नर्क हासिल होने की आशंका जताई जा रही थी।
तभी अचानक धरती लोक पर जहां उस व्यक्ति के मृत शरीर की हड्डी के लिए वह दो जीव लड़ रहे थे, अचानक उनके मुंह से वह हड्डी गिर गई और सीधा गंगा नदी में जाकर गिरी। गंगा नदी में हड्डी के पवित्र होते ही उस इंसान के सारे पाप धुल गए।
और उसे मिलने वाले नर्क की सज़ा माफ कर दी गई। गंगा नदी जो कि भगवान शिव की जटाओं से निकलकर धरती लोक पर आई हैं, उनकी पवित्रता शिवजी के नाम से जुड़ने से ही बन जाती है। इसलिए धरती लोक में सबसे पूजनीय नदी ही गंगा है, जिसमें स्नान करने से ही सभी पाप मुक्त हो जाते हैं ऐसी मान्यता बनी हुई है।
लेकिन अब दूसरा सवाल ये उठता है कि गंगा नदी में ही विसर्जन क्यों किया जाता है? तो वैज्ञानिक दृष्टि से गंगा जल में मर्करी पाई जाती है जिससे हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस पानी में घुल जाता है जो जलजन्तुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। वैज्ञानिक दृष्टि से हड्डियों में सल्फर पाया जाता है जो मर्करी के साथ मिलकर पारद का निर्माण करता है। इसके साथ-साथ यह दोनों मिलकर मर्करी सल्फाइड साल्ट का निर्माण करते हैं। हड्डियों में बचा शेष कैल्शियम, पानी को साफ रखने का काम करता है।
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