मुसलमान 3 मंदिर दे दें, 39,997 मस्जिदें ले लें : स्वामी
नई दिल्ली.विवादित राम मंदिर को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक बार फिर नया फार्मूला दिया है। स्वामी ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि हमें तीन मंदिर दे दिए जाएं और मुस्लिम 39,997 मस्जिद रख लें। स्वामी ने मुस्लिम नेताओं को दुर्योधन न बनने की भी सलाह दे डाली। हालांकि उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि राम मंदिर बनाने का काम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही होगा।
स्वामी ने किया ट्वीट
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि हम हिंदू, मुसलमानों को भगवान श्रीकृष्ण का ऑफर कर रहे हैं-वे हमें केवल तीन मंदिर दे दें और बदले में 39,997 मस्जिद रख लें। मुझे आशा है कि वह दुर्योधन नहीं बनेंगे। वहीं स्वामी के इस बयान पर विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें ऐसा कहने का हक किसने दिया है।
We Hindus offer Lord Krishna's package to Muslims–give us 3 temples and keep 39,997 masjids. I hope Muslim leaders don't become Duryodhans
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 10, 2016
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा हिंदुओं की तरफ से बोलने के लिए उन्हें किसी ने ठेका नहीं दिया। मुस्लिमों ने भी देश को बनाया है। वहीं जेडीयू के के सी त्यागी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए कि क्या बाहर किसी को इस पर बयान देने का अधिकार है। बीजेपी की सरकार बनने के बाद क्या फर्क आया है बीजेपी इसे भी स्पष्ट करें।
हमारी सारी मस्जिदे ले ले स्वामी
सपा नेता आजम खान ने स्वामी पर हमला बोलते हुए कहा कि हमारी जितनी मस्जिदें हैं उन्हें ले लें, इबादत करें, हमने कहां रोका है। ये सारा मसला उत्तर प्रदेश चुनाव से जुड़ा है। बीजेपी उसी तरह दलदल में गिर गई है जितनी कांग्रेस थी। उन्हें दिल्ली से सबक नहीं मिला, बिहार का हाल देखा। हम एक सच बताना चाहते हैं कि आने वाले कल मे गुजरात में उसी तरह सफाया होगा जिस तरह दिल्ली में हुआ। अगर अदालतों का भरोसा और न्याय प्रक्रिया का भरोसा देशवासियों के दिल कम होगा तो ठीक नहीं होगा। इससे मुल्क का बडा नुकसान होगा। 2017 के चुनाव से पहले देश जानना चाहता है कि समझौता एक्सप्रेस के मुजरिम के साथ क्या हुआ।
यूपी के राज्यपाल राम नाईक, मंदिर का मुद्दा कोर्ट में है तो इस बारे में अधिक नहीं कहूंगा। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में हो रहे दो दिवसीय सेमिनार पर कहा कि देश में जनतंत्र है, सभी विचारों का आदान प्रदान करना आवश्यक होता है। कार्यक्रम से दिक्कत नहीं होना चाहिए, लेकिन इससे व्यवस्था बिगडती है तो देखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा का स्तर ऐसा हो कि समाज को दिशा मिले।