ब्लड बैंकों में हो रही ब्लड की बर्बादी, पांच साल में बर्बाद हुआ लाखों लीटर ब्लड
ब्लड बैंक का नाम आपने खून को स्टोर करने के लिए ही सुना ही होगा। इसमें जाकर आप अपना ब्लड डोनेट करते हैं और यहां पर स्टोर किया जाता हैं। इसके बाद जब भी किसी को उस ब्लड की जरूरत होती है तो वहां से दे दिया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि यहां आपका खून बर्बाद भी होता है। नहीं न लेकिन हाल ही में ऐसी ही चौंकाने वाली बात सामने आई है। आईए आपको इसके बारे में बताते हैं।
हाल ही में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। देशभर के ब्लड बैंकों में कुल 28 लाख यूनिट खून को ऐसे ही बर्बाद हो गया है। इससे देश के ब्लड बैंक सिस्टम पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए है। यह नुकसान कुल जमा मात्रा का करीब 6 पर्सेंट है। अगर बर्बाद हुए खून को लीटर में मापें तो यह करीब 6 लाख लीटर होता है। यह इतनी मात्रा है, जिससे पानी के 56 वॉटर टैंकर्स भरे जा सकते हैं।
इन राज्यों में हुई खून की बर्बादी
महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्य इस बर्बादी में सबसे आगे रहे। इन राज्यों ने न केवल खून, बल्कि खून के कई जीवन रक्षक अंश मसलन-रेड ब्लड सेल्स और प्लास्मा भी बर्बाद कर दिए। सिर्फ 2016-17 में 6.57 लाख यूनिट खून और अन्य अव्यव फेंक दिए गए। चिंताजनक बात यह है कि बर्बाद खून की यूनिट्स का पचास प्रतिशत हिस्सा प्लास्मा है, जिसको स्टोर करके सुरक्षित रखने की अवधि समूचे खून या आरबीसी के मुकाबले करीब एक साल ज्यादा होती है। वहीं, खून या आरबीसी को 35 दिनों के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
ब्लड बैंकों में इतने बड़े पैमाने पर खून की बर्बादी का खुलासा एक आरटीआई के जवाब में नैशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से हुआ है। यह आरटीआई चेतन कोठारी नाम के शख्स की ओर से लगाई गई थी। आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र इकलौता राज्य है, जहां ब्लड कलेक्शन का आकड़ा 10 लाख लीटर पार कर गया।
हालांकि, खून की बर्बादी के मामले में भी यह राज्य टॉप पर रहा। इसके बाद, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश का नंबर आता है। महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक जैसे राज्य आरबीसी बर्बाद करने के मामले में टॉप तीन पोजिशन पर रहे। वहीं, ताजे जमे हुए प्लास्मा को फेंकने के मामले में यूपी और कर्नाटक सबसे आगे रहे।
2016-17 में जमे हुए प्लास्मा के तीन लाख यूनिट से ज्यादा बर्बाद हुए। यह ज्यादा दुखद इसलिए भी है क्योंकि देश की बहुत सारी फार्मा कंपनियां एल्बुमिन तैयार करने के लिए इसका आयात करती हैं। यह एक तरह का प्रोटीन है, जो प्राकृतिक तरीके से लिवर द्वारा तैयार होता है। कोठारी ने कहा, ’यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि देश में खून की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है। यह कमी हर जगह है, चाहे सुदूर ग्रामीण इलाके हों या फिर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगर।’ बता दें कि भारत में सालाना 30 लाख यूनिट खून की कमी पड़ती है। दुर्घटना के मामलों में अक्सर खून, प्लास्मा या प्लेटलेट्स की कमी मौत की वजह बन जाती है।
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