संस्कृत विद्या मंडलम में मनाई गई वाल्मीकि जयंती
रायपुर, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम् के तत्वावधान में रविवार को यहां राजधानी रायपुर स्थित कार्यालय में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में शामिल विद्वान वक्ताओं ने आदिकवि का स्मण करते हुए कहा कि उनके द्वारा रचित रामायण के माध्यम से जो आदर्श स्थापित किए गए, वे आज भी प्रासंगिक और अनुकरणीय है। इनके आदर्शों पर चलने से समाज और राष्ट्र में रामराज साकार हो सकता है। इस अवसर पर डॉ. इतवारी राम खूटे की पुस्तक महर्षि वाल्मीकि का विमोचन भी किया गया। पुस्तक का प्रकाशन छत्तीसगढ़ शोध संस्थान ने किया है।
विचार गोष्ठी में छत्तीसगढ़ शिक्षा आयोग के अध्यक्ष श्री चंद्रभूषण शर्मा तथा साहित्यकार अमरनाथ त्यागी, डॉ. रामकुमार बेहार, डॉ. गणेश कौशिक और सहायक प्राध्यापक डॉ. तोयनिधि वैष्णव, श्री शिवकुमार त्रिपाठी, डॉ. बालकृष्ण तिवारी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत बोर्ड के सचिव डॉ. सुरेश कुमार शर्मा ने किया।
विचार गोष्ठी में शिक्षा आयोग के अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से भगवान राम के यश को देश और दुनिया में फैलाया। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कौशिक ने कहा कि महापुरूष किसी जाति, वर्ग तथा धर्म विशेष के नहीं होते, बल्कि उनका महत्व सार्वदेशिक और सार्वकालिक होता है। इस अवसर पर डॉ. बेहार ने कहा कि जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठियों से हमें महापुरूषों के बारे में और भी अधिक जानकारी मिलती है। श्री त्रिपाठी ने रामायण के विभिन्न पक्षों की चर्चा की और कहा कि रामायण में जीवन और समाज के हर पक्ष का विस्तार से वर्णन है। श्री त्यागी ने कहा कि संस्कृत विश्व की प्रथम भाषा है, इससे अन्य सारी भाषाएं पैदा हुई है। गोष्ठी में डॉ. वैष्णव ने आदिकवि की जयंती मनाए जाने की परम्परा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरूआत महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण और वेदमंत्रों के उद्घोष से हुई।