चीन ने कहा, NSG सदस्यता को लेकर बदनाम न करे
चीन ने भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के मुद्दे पर अटकलें लगाने के बाद एक बार फिर भारत पर तंज कसा हैं। एक चीनी सरकारी मीडिया ने अपने आर्टिकल में कहा, ’एनएसजी मेंबरशिप को लेकर हमें बदनाम करने से बेहतर होता कि भारत अपनी अच्छी तैयारी करता। भारत ने हमारे तर्कों को गलत तरीके से पेश किया।’ आर्टिकल में ये भी लिखा, ’आपसी समझ से दोनों देश एशिया में नया इतिहास रच सकते हैं।’ बता दें कि जून में सियोल में हुई एनएसजी के 48 देशों की मीटिंग में चीन की अगुआई में 10 देशों ने भारत का विरोध कर दिया था। अब दिसंबर में भारत को यह मेंबरशिप मिलने की उम्मीद है।
भारत बनाए अपना पक्ष मजबूत
ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में लिखा है कि भारत को इंटरनेशनल लेवल पर सपोर्ट चाहिए था तो उसे अपना पक्ष मजबूती से रखना था। लेकिन इसके बजाए वह चीन को बदनाम करने में लगा रहा। एडिटोरियल में बताया गया है कि चीन ने भारत की मेंबरशिप का विरोध क्यों किया? आपको बता दे कि कि 23-24 जून को सिओल में हुई एनएसजी प्लेनरी की मीटिंग की भारत की मेंबरशिप के दावे को खारिज कर दिया गया था।
सिर्फ अमेरिका ही काफी नहीं
भारत ने भले ही अमेरिका जैसे बड़े देश का सपोर्ट हासिल कर लिया हो लेकिन सिर्फ अमेरिका ही पूरी दुनिया नहीं है। अमेरिका के सपोर्ट मिलने से ही भारत को पूरी दुनिया सपोर्ट नहीं मिल जाता। भारत इस बेसिक फैक्ट को ही नहीं समझ पाया। दरअसल अमेरिका का भारत को मदद करने के पीछे मकसद चीन को आगे बढ़ने से रोकना है। भारत एक बड़ी ताकत बनना चाहता है। लेकिन उसे ये भी जानना होगा कि बड़ी ताकतें कैसे अपना खेल खेलती हैं?
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