जिंदगी की लड़ाई में हारे हनुमंतप्पा
सियाचिन में छह दिन 35 फुट बर्फ के नीचे फंसे रहने का बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमंतप्पा नहीं रहे। दिल्ली के आर्मी अस्पताल में 11.45 पर उन्होंने आखिरी सांस ली। इससे पहले खबर मिली थी कि उनकी हालत और बिगड़ गई है और वह गहरे कोमा में चले गए हैं।
आक्सीजन की कमी से हुआ शरीर को नुकसान
हनुमंतप्पा के शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे, उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया के लक्षण पाए गए थे, तथा उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा थी। उनकी हालत बेहद गंभीर बताई गई थी।
इस तरह हुआ हादसा
सियाचिन में इस जवान के बर्फ के नीचे दबने के पीछे की वजह बर्फ के एक बड़े पहाड़ का गिरना हैं। इस पहाड़ की लंबाई करीब 1000 मीटर और चौड़ाई 800 मीटर थी। इसके टूटते ही बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें जवानों पर गिर गईं।
20 हजार फीट की ऊंचाई पर है यह जगह
35 फुट मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा सेना का यह जवान चमात्कारिक रूप से छह दिनों बाद जिंदा मिला था। जहां पर यह बर्फानी तूफान आया वह जगह करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर है। वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है।
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