अब ये ‘पंच परमेश्वर’ करेंगे ट्रिपल तलाक की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में पांच अलग-अलग धर्मों के जजों की बेंच ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाद के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगी। संवैधानिक पीठ में सिख, ईसाई, हिंदू, पारसी , मुस्लिम सहित सभी समुदाय के सदस्य हैं। इस पीठ में चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं। साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकेश रोहतगी और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद भी संविधान पीठ की मदद करेंगे। इस मुद्दे पर दाखिल की गई इस याचिका केा नाम समानता की खोज बनाम जमात उलेमा -ए-हिंद दिया गया है।
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ट्रिपल तलाक के साथ-साथ छह अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी, जिसमें शायरा बानो, आफरीन रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और आतिया सबरी मामले शामिल हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह ट्रिपल तलाक , निकाह हलाला, और बहुविवाद के मुद्दे पर सुनवाई करेगा , यानि कॉमन हिसविल कोड का मामला सुप्रीम कोट्र की संवैधानिक बेंच के सामने नहीं है। इनमें पांच याचिकाएं मुस्लिम महिलाओं ने दायर की है। जिनमें मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक बताया गया है।
ये हैं केंद्र सरकार के सवाल-
– धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह की इजाजत संविधान के तहत दी जा सकती है या नहीं?
– समानता का अधिकार, गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्राथमिकता किसे दी जाए?
– पर्सनल लॉ को संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं?
– क्या तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह उन अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं?
क्या है अर्जी-
– मार्च 2016 में उत्तराखंड की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी।
– बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है। कोर्ट में दायर याविचका में शायरा ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैंऔर उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है। वहीं पति के पास पूर्ण रूप से अधिकार होते हैं। यह भेदभाव और असमानता एकतरफा तीन बार तलाक के तौर पर सामने आती है।
– जयपुर की आफरीन रहमान ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मैरिज पोर्टल से शादी करने वाली रहमान को उसके पति ने स्पीड पोस्ट से तलाक का पत्र भेजा था। उन्होंने भी तीन तलाक को खत्म करने की मांग की है।
– ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के जीवन जीने के अधिकार का उल्लंधन बताते हुए बंगाल के हावड़ा की इशरत जहां ने सुपी्रम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि उसके पति ने दुबई से ही उसे फोन पर तलाक दे दिया और चारों बच्चों को जबरन छीन लिया।
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