गूगल ने जीता ऑरेकल से अरबों का मुकदमा
सैन फ्रांसिस्को। कॉपीराइट के मामले में गूगल ने ऑरेकल से एक बड़ी जीत हासिल की है। ऑरेकल ने ये दावा किया था कि गूगल ने एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर को डेवलप करने के लिए गैरकानूनी ढंग से जावा की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था। लेकिन अमेरिका की एक जूरी ने इस मामले का फैसला गूगल के हक में देते हुए ऑरेकल द्वारा की गई 67 अरब रुपए के मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया है।
गूगल ने अपना बचाव करते हुए ये दावा पेश किया था कि एंड्रॉयड बनाने में ऑरेकल के जावा डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कॉपीराइट लॉ के फेयर यूज प्रावधान के तहत किया गया था। जूरी ने गूगल के इस दावे को एकमत के साथ स्वीकार किया और साथ ही यह मामला भी बंद कर दिया।
लेकिन ऑरेकल इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। ऑरेकल का कहना है कि वह आगे अपील करेगा। कंपनी के जनरल काउंसल डोरियन डैली ने एक बयान में कहा, ’’हम पक्के तौर पर मानते हैं कि गूगल द्वारा विकसित किया गया एंड्रॉयड हमारी कोर जावा टेक्नोलॉजी को गैर-कानूनी ढंग से कॉपी करके बनाया गया था, ताकि मोबाइल डिवाइस मार्केट में एंट्री की जा सके।
गूगल की एल्फाबेट ने एक स्टेटमेंट में इस फैसले को एंड्रॉयड ईकोसिस्टम, जावा प्रोग्रामिंग कम्यूनिटी और सॉफ्टवेयर डेवलप्स की जीत बताया है। कंपनी ने कहा है कि ये उन सभी की जीत है जो नए कंज्यूमर प्रोडक्ट बनाने के लिए ओपन और फ्री प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हैं।
क्या है फेयर यूज प्रावधान
अमेरिकी कॉपीराइट एक्ट के फेयर यूज प्रावधान के तहत किसी भी कॉपीराइट मटेरियल का यूज थोड़े से परितर्वन के साथ किया जा सकता है। यदि कॉपीराइट मटेरियल का इस्तेमाल परितर्वन के साथ किया जा रहा है तो इसके लिए कॉपीराइट ऑनर से इजाजत लेने की जरुरत नहीं होगी।