अगर आपका बच्चा भी करता है कॉटनबड का इस्तेमाल , तो जरा ध्यान दें
अगर आपके बच्चे भी बेवजह कॉटनबड्स का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर खास आपके लिए है। कान साफ करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ईयरबड्स व कॉटनबड्स बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। जी हां, इन ईयरबड्स की वजह से हर दिन करीब 34 बच्चे इमरजेंसी वॉर्ड में एडमिट हो रहे हैं। दरअसल, एक चिल्ड्रन हॉस्पिटल रिसर्च के मुताबिक 1910 से 2010 तक 18 साल से कम उम्र वाले 263000 बच्चे अमेरिका के अस्पताल में ईयरबड्स से छेड़छाड़ करने के कारण इमरजेंसी डिपार्टमेंट में भर्ती किए हैं। ज्यादातर इन बच्चों में ईयर इंज्यूरीज पाई गईं।
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के सीनियर ओटोलरैंजोनोलॉजिस्ट डॉ.क्रिस जटाना के अनुसार ईयरबड्स से जब हम कान का मैल साफ करते हैं तो वह मैल बाहर आने के बजाय ईयर ड्रम के पास तक पहुंच जाता है, इससे कान में एक गंभीर चोट पहुंचने का बहुत बड़ा खतरा रहता है।
रिसर्च में पता लगा है कि करीब 73 प्रतिशत बच्चे कान साफ करने के लिए ईयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 10 प्रतिशत बच्चे खेल के तौर पर इसे लेते हैं। 9 प्रतिशत बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें ईयरबड्स का इस्तेमाल करने के दौरान चोट आई है। सबसे ज्यादा ईयर इंज्यूरीज यानि 77 प्रतिशत इंज्यूरीज तब हुईं जब बच्चे खुद इनका इस्तेमाल करते हैं। जबकि 16 प्रतिशत इंज्यूरीज पैरेंट्स द्वारा बच्चों के कान में ईयरबड्स इस्तेमाल करने से हुईं। 6 प्रतिशत इंज्यूरीज खेेल खेल में भाई या बहन द्वारा इस्तेमाल करने पर हुईं।
इन ईयरबड्स के कारण इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती हो रहे बच्चों में तीन में से दो आठ साल से कम उम्र के हैं। 30 प्रतिशत इंज्यूरीज फॉरेन बॉडी सेंसेशन की होती हैं, वहीं ईयर ड्रम में छेद होने के मामले 25 प्रतिशत हैं। इस रिसर्च में 8-17 वर्ष तक के बच्चे फॉरेल बॉडी सेंसेशन से ग्रसित पाए। डॉ.जटाना के अनुसार 21 साल के बाद ये समस्या बच्चों में बहुत कम देखी गई है। कुल मिलाकर इस स्टडी का मानना है कि ईयरबड्स कान साफ करने के लिए एक उचित प्रोडक्ट नहीं है। इससे हमारे कानों को खतरा रहता है। जब ये खतरा बढ़ जाए तो बच्चा बहरा भी हो सकता है।
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