1967 में बनी थी पंजाब में सरकार, ऐसे हुई थी अकाली दल की स्थापना
पंजाब में 4 फरवरी को होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। पीएम मोदी ने रविवार को बठिंडा में शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी दोनों के प्रत्याशियों के लिए रैली की। इस रैली में पीएम ने कहा ‘‘चुनाव से एक राज्य का भाग्य नहीं बदलता, बल्कि पूरे देश का भाग्य बदलता है।‘‘ उन्होंने कहा कि ‘‘पंजाब के साथ पूरे देश का भाग्य जुड़ा हुआ है क्योकि पंजाब के किसान हिंदुस्तान का पेट भरते है।‘‘ बता दें कि अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन 2007 में बना था। तब से दोनों पार्टियां ने साथ में ही केंन्द्र और राज्य के सभी चुनाव लड़े। हरियाणा से अलग हाने के बाद पंजाब के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार 10 साल से सत्ता में है। आइए जानते है कैसे एक विशेष समुदाय के लिए बनी पार्टी की सरकार आज पूरे प्रदेश में है।
अकाली दल की स्थापना
शिरोमणि अकाली दल का गठन दिसंबर 1920 में पंजाब के 14 शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और सिख धर्म के एक कार्य बल के रूप में किया गया था। इसके पहले अध्यक्ष सरमुख सिंह चुब्बल थे लेकिन मास्टर तारा सिंह के नेतृत्व में पार्टी पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हो गई। वह कट्टर सिक्ख नेता थे। इस पार्टी का गठन पंजाबियत, सिख धर्म और पंजाबी राष्ट्रवाद के उद्ेश से की गई थी । यह पार्टी विश्वभर में सिखों के लिए आवाज उठाती है।
पंजाब और हरियाणा का विभाजन
अकाली दल के गठन के बाद कई सालों तक यह पार्टी सत्ता से दूर रहीं है। मास्टर तारा सिंह के संत फतह सिंह से मतभेद के बाद पार्टी में अतंर-कलह बढ़ती गई और साल 1962 के विधानसभा चुनाव में केवल उन्हें तीन सीट मिली । लेकिन तारा सिंह को 1966 में हुए पंजाब विभाजन का श्रेय जाता है, उन्हीं के वजह से पंजाब 1966 में अपने आप में एक संपूर्ण राज्य बन पाया।
विभाजन के बाद पहली सरकार
साल 1996 में नए पंजाब राज्य का गठन किया गया। पार्टी में आंतरिक संघर्ष और सत्ता से लंबे समय तक दूर रहने के बाद पार्टी ने नए राज्य में अपनी पहली सरकार साल 1967 में गुरुनाम सिंह के नेत्तृव में बनाई। वह नए राज्य में अकाली दल के पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन उनकी सरकार केवल 262 दिन ही चल पाई और सरकार गिर गई। साल 1968 से 1969 तक करीब 178 दिन तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा। सन 1970 से 1971 तक प्रकाश सिंह बादल राज्य के 5वें मुख्यमंत्री बने। लेकिन केवल 1 साल 79 दिन की सरकार के बाद फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा। साल 1972 में हुए चुनावों में जेल सिंह के नेत्तृव में कांग्रेस की सरकार बनी । नए राज्य के गठन के बाद यह पहली सरकार थी जो पूरे 5 साल राज्य में रहीं । लेकिन इसके बाद फिर से किसी भी पार्टी की सरकार 5 साल के लिए नहीं बनी।
अकाली दल ने पहली बार पूरा किया 5 साल का कार्यकाल
साल 1997 में पंजाब राज्य का 11वां विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमे शिरोमणी अकाली दल ने प्रकाश सिंह बादल के नेत्तृव में पहली बार पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। लेकिन साल 2002 में हुए विधानसभा चुनावों में हर बार की तरह ही इस बार फिर से विपक्षी पार्टी की सरकार बनी । पंजाब का यह इतिहास है कि हर पांच साल में वहां की सरकार दूसरी पार्टी के हाथों मे चली जाती है।
टूटा 46 साल का इतिहास
साल 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में अकाली दल और बीजेपी ने गठबंधन कर लिया और दोनों पार्टिया एक साथ चुनाव लड़ी और 117 सीटों में से 69 सीटें जीत कर एक बार फिर से प्रकाश सिंह बादल के नेत्तृव में सरकार बनी । वह राज्य के 13वें मुख्यमंत्री बने और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल अकाली दल के नए अध्यक्ष बने। साल 2012 में हुए चुनावों में पिछले 46 साल का रिकार्ड टूट गया और एक बार फिर से अकाली और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी और एक बार फिर से प्रकाश बादल राज्य के 14वें मुख्यमंत्री बने।
बादल और कैप्टन का है यह आखिरी चुनाव
अगामी 4 फरवरी को हो रहे विधानसभा चुनावों में अकाली दल और कांग्रेस के दोनों प्रमुख नेताओं का यह आखिरी चुनाव है। प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही घोषणा कर दी है कि यह चुनाव उन दोनों का आखिरी चुनाव है। बहरहाल, 16 मार्च को चुनावों के रिजल्ट की घोषणा हो जाने के बाद ही पता चल पाएंगा की कौन बनेगा पंजाब का 15वां मुख्यमंत्री।
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