नेताओं की बोलती बंद करती है 23 साल की ये लड़की
पंखुड़ी पाठक का जन्म 1992 में हुआ और वो दिल्ली की रहने वाली हैं। पंखुड़ी की फैमेली का कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है। उनके पिता जे सी पाठक और मां आरती पाठक डॉक्टर हैं। पंखुड़ी पाठक ने अपनी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी की है। पढ़ाई के साथ-साथ पंखुड़ी ने राजनीति में भाग लेना शुरू किया और वे समाजवादी पार्टी की छात्र सभा से जुड़ी।
साल 2010 में हंसराज कॉलेज के चुनाव में उन्होंने ज्वाइंट सेक्रेटरी का पद जीता। उस समय उनकी उम्र लगभग 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने दो-तीन साल तक पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों को छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ाया। इसके बदले में पार्टी ने रिटर्न गिफ्ट देते हुए उन्हें 2013 में लोहिया वाहिनी का नेशनल सेक्रेटरी बना दिया।
सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव
पंखुड़ी पाठक राजनीति में काफी सक्रिय है साथ ही काफी हाजिर जवाब भी है। उनकी सोशल मीडिया पर भी अच्छी पहुंच है। उनके फेसबुक पर हजारो फॉलोवर हैं। सोशल मीडिया पर वे लंबे समय से पार्टी की छवि मजबूत बनाती आई हैं। पंखुड़ी पाठक यूपी के सीएम अखिलेश यादव और डिंपल यादव से काफी प्रभावित हैं और उनकी करीबी मानी जाती हैं।
पंखुड़ी का मानना है कि समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में यूपी के विकास और जनता से जुड़ी योजनाएं चलाई हैं। पार्टी समाजवाद में विश्वास रखती है। सभी को साथ लेकर चलने की बात करती है। आपको बता दें कि पंखुड़ी पाठक साल 2010 में समाजवाद पार्टी से जुड़ी थी। वहीं सीएम अखिलेश यादव भी पंखुड़ी को काफी काबिल समझते हैं और यूथ को राजनीति में बढ़ावा देने के लिए उन्होंने पंखुड़ी को कोर टीम में शामिल किया था ताकि यूपी के यूथ में राजनीति के प्रति सोच बदले और वे भी बढ़-चढ़कर राजनीति में सक्रिय हो।
बीजेपी नेता ने दिया था शर्मशार बयान
पंखुडी पाठक कुछ दिनों पहले ही बीजेपी नेता के शर्मनाक बयान को लेकर सुर्खियों में आई थी। बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला ने पंखुड़ी पाठक को लेकर एक इंटरव्यू में बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘पंखुड़ी पाठक तुम्हारे पंख ज़्यादा फड़फड़ा रहे हैं। चुप रहो ज़्यादा न फड़फड़ाओ। हमें पता है कि तुम्हारे जैसी महिलाओं को यादव परिवार में कैसे एंट्री मिलती है अगर मैने अपना मुंह खोला तो तुम शर्मशार हो जाओगी।’’
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पंखुड़ी पाठक ने भी इस पर जवाब देते हुए कहा था कि ‘‘भाजपा नेताओं से महिलाओं का सम्मान कभी नहीं हो पाएगा तथा इनकी इस भाषा ने महिलाओं के प्रति भाजपा की मानसिकता को भी दर्शाया है।’’ पंखुड़ी पाठक ने ऐसे कई मौकों पर नेताओं की बोलती बंद की है हालांकि इस केस के बाद एक प्राथमिक शिकायत भी दर्ज कराई गई थी और इस मुद्दे ने तूल पकड़ा था। राजनीति में लोगों को आने में उम्र लग जाती है वही पंखुड़ी पाठक ने इतनी कम उम्र में राजनीति में जो मुकाम हासिल किया है वो सराहनीय है।