जानें, क्यों पंजाबियों में शुभ माना जाता है चूड़ा पहनना!
भारत एक ऐसा देश है जहां कई जाति के लोग रहते हैं। यह भारत की खासियत और महानता है कि यहां सभी धर्म और जाति के लोगों को एक समान दर्जा दिया जाता है। सभी लोगों का रहन-सहन और रीति रिवाज भी अलग हैं। हमारे देश में शादियों के भी कई रंग देखे जाते हैं। हर धर्म में अलग-अलग तरह के खास रिवाज होते हैं जैसे पंजाबी दुल्हनों को चूड़ा पहनना बहुत जरूरी होता है और इसकी एक रस्म भी होती है। हालांकि आजकल तो अक्सर हर जाति की लड़कियां शादी में अच्छे गेटअप के लिए चूड़ा पहन लेती हैं। लेकिन पंजाबियों में चूड़ा पहनने को काफी शुभ माना जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है।
कैसे होती है चूड़ा रस्म
पंजाबी कल्चर में चूड़ा सेरेमनी नाम की एक रस्म होती है। चूड़ा सेरेमनी शादी की सुबह दुल्हन के घर पर ही होती है। इस रस्म में दुल्हन के मामा दुल्हन के लिए चूड़ा लाते हैं। इस चूड़े में लाल और सफेद रंग की 21 चूड़िया होती हैं। दुल्हन इस चूड़े को तब तक नहीं देख पाती है जब तक की वह पूरी तरह से तैयार हो कर मंडप पर दूल्हे के साथ ना बैठ जाए। इसके बाद उसे चूड़ा पहनाया जाता है। इसे चूड़े को शादी के 1 साल तक पहनना जरूरी होता है। हालांकि आजकल मॉर्डन लड़कियां 40 दिन में ही उतार देती हैं। चूड़े का महत्व चूड़ा शादीशुदा होने का प्रतीक है, साथ ही यह प्रजनन और समृद्धि का संकेत भी होता है। चूड़े को शादी की एक रात पहले दूध में भिगोकर रखा जाता है। पंजाबी कल्चर में चूड़े का काफी महत्व होता है। घर के बड़ों द्धारा चूड़े के रूप में लड़की को सदा शुहागन और शुभ रहने का आर्शाीवाद दिया जाता है।
कलीरों का भी है खास महत्व
चूड़े के साथ ही हर पंजाबी दुल्हन शादी में कलीरे भी पहनती है। इन्हें चूड़ें के साथ बीच में पहना जाता है। दुल्हन की सहेलियां और घर की प्रिय लड़कियां दुल्हन को कलीरे पहनाती हैं। जब कलीरे दुल्हन की चूडियों के साथ बांध दी जाती है, तब वह इन्हें अपनी अविवाहित सहेलियों और बहनों के सिर पर झटकती है। ऐसा माना जाता है कि जिसके सिर पर कलीरे गिरते हैं घर में उसी की अगली शादी होती है।
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