लोढ़ा कमेटी ने दिया कुंबले का साथ, BCCI से जताई नाराजगी
BCCI में इंडियन क्रिकेट टीम के नेशनल कोच अनिल कुंबले को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, और आज लोढ़ा कमेटी ने अपनी सिफारिश में कोच-चयन को लेकर BCCI से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए यह सिफारिश की है। खासतौर पर अनिल कुंबले को कमतर आंके जाने को लेकर लोढ़ा कमिटी ने अपनी नाखुशी जाहिर की है। कमेटी ने यह भी कहा कि BCCI को अनिल कुंबले के 1 साल के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए किसी भी तरह की चयन प्रक्रिया चलाने की बजाय उन्हें ऑटोमेटिक एक्सटेंशन दे देना चाहिए।
नेशनल कोच के साथ ऐसा व्यवहार करने का तरीका सही नहीं
लोढ़ा कमेटी के सचिव गोपाल शंकरनारायणन ने आज शनिवार को एक अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि यह बेहद अजीब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार जो बाध्य हैं, वही प्रशासक अब भी BCCI ऑफिस में जमे हुए हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं। यही नहीं वे क्रिकेटर्स और कोच को लेकर फैसले भी ले रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कुंबले के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए। अपने नेशनल कोच के साथ ऐसा व्यवहार करने का तरीका सही नहीं है। कोचिंग के लिए 1 साल का कार्यकाल देना काम करने के लिए काफी नहीं होता। नेशनल कोच के लिए साल दर साल अपॉइंटमेंट देना सही नहीं है। 1 साल के कार्यकाल के लिए आखिर कौन आना चाहेगा। शंकरनारायणन ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि आप देख सकते हैं कि ऐसा बोर्ड अधिकारियों की ओर से जान-बूझकर किया गया है। आप अपने नेशनल कोच को टुकड़ों में अपॉइंटमेंट नहीं दे सकते। अगला कॉन्ट्रैक्ट 1 साल का नहीं होना चाहिए।
ICC से आने वाला पैसा गैर-हकदार लोगों के हाथ में जाता है
TOI रिपोर्टर dwaraयह पूछे जाने पर कि क्या कुंबले लोढ़ा कमेटी से अपनी करीबी की कीमत चुका रहे हैं, शंकरनारायणन ने कहा कि कुंबले ने खिलाड़ियों के हित में खड़ा होने का फैसला लिया। उन्होंने सवाल उठाया कि खिलाड़ियों को ICC से आने वाले पैसों में से कुछ नहीं मिलता, बल्कि वह ऐसे लोगों के हाथ चला जाता है, जो उसके हकदार नहीं हैं। हालांकि शंकरनारायणन के आरोपों का BCCI के अधिकारियों ने कोई जवाब देने से इंकार कर दिया। बोर्ड के एक अफसर ने कहा कि BCCI की कार्यप्रणाली में लोढ़ा कमेटी का कोई दखल नहीं है। यदि कोच की नियुक्ति को लेकर कोई प्रोसेस नहीं होती है, तो यही कमेटी BCCI पर सवाल खड़े करती।
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