तो ये है मार्क ज़ुकेरबर्ग की सक्सेस का राज !
फेसबुक के चेयरमैन और सीईओ मार्क ज़ुकेरबर्ग जिनका आज जन्मदिन है, आज के दौर के सबसे बड़े यंग बिजनेसमैन है। आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि जिस सोशल साइट फेसबुक का आज हम सभी यूज करते हैं, उसे मार्क ने केवल 19 साल की उम्र में बनाया था। इस सोशल साइट ने उन्हें सबसे कम उम्र में अरबपति बना दिया था। हमेशा रिस्क लेने वाले इस यूथ की कहानी कल्पना से परे है। मार्क आज यूथ के लिए प्रेरणा बन गए है, पर क्या आप जानते है? आखिर क्या है मार्क के पास जो उन्हें दूसरों से अलग बनाता है, और सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ाता जाता है-
बचपन से था कम्प्युटर का शौक
मार्क ज़ुकेरबर्ग जिनका पूरा नाम मार्क एलियट ज़ुकेरबर्ग है, इन्हें बचपन से ही क्रिएटिव वर्क करने का शौक था। ये अपने आइडिया अपने पिता के साथ शेयर करते थे और उनपर काम भी किया करते थे। कम उम्र में ही उन्होंने कम्प्युटर गेम तैयार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड में पढ़ाई के दौरान फेसमास के नाम से वेबसाइट बनाई जिसमें लोगों की फोटो यूज कि जाती थी। पहले तो इसे 450 लोगों ने देखा। इनकी वजह से हार्वर्ड का सर्वर भी डाउन हो गया था। कुछ विद्यार्थियों की शिकायत पर उन्हें इसे बंद करना पड़ा।
तरक्की के साथ नायाब सोच
किसी भी काम को करने के लिए बड़ी सोच रखना जरुरी होता है। जब फेसबुक को शुरु करते समय दूसरे लोग इसे करोड़ो डॉलर में आंक रहे थे, उस वक्त मार्क कि सोच कुछ अलग ही थी। उन्होंने तो अरबो डॉलर की कंपनी का सपना देखा था, जिसे पूरा करने कि उनकी योजना दिमाग में पूरी तरह तैयार थी। उनकी यही सोच उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। हाल ही में मार्क और पीएम मोदी की मुलाकात हुई थी। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी जी ने मार्क के विचारों कि तारिफ की
मेहनत पर यकिन करना
मार्क का मानना है कि पैसे तो विरासत में भी मिल सकते है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकती है। सफलता के लिए जी तोड़ मेहनत इंसान को स्वयं करनी पड़ती है,तभी जाकर कामयाबी कि मंजिल पर पहुचा जा सकता है। इसी विचार के साथ उन्होंने खुद भी काम किया और अपने साथियों को भी आगे बढ़ने की सलाह दी। परिणाम आज हमारे सामने है।
अपनी खुशी दूसरों के साथ बांटे
अरबों कि कंपनी का मालिक हो या कोई आम व्यक्ति, उसे हमेशा खुशियां बांटते रहना चाहिए। इस बात का उदाहरण ज़ुकेरबर्ग हैं, उन्होंने अपने घर बेटी के जन्म कि खुशी लोगों में इस तरह बांटी की हर कोई बस देखता रहा गया। मार्क ने संस्था के 99 प्रतिशत शेयर करीब तीन लाख करोड़ रुपए दान कर दिए। उनकी इस अदा से उन्हें कितने ही लोगों का आर्शीवाद भी मिला। जरा सोचिए इस तरह की सोच रखने वाले व्यक्ति का साथ कौन नहीं देना चाहेगा। मार्क की डिफरेंट सोच उन्हें ईश्वर से जोड़ती है, और तरक्की की राह पर आगे बढ़ाती है।
रिस्क लेने कि आदत
मार्क जकरबर्ग अपनी पूरी लाइफ रिस्क में लेना पसंद करते आए है। उनका मानना है कि जब तक हम बिना डरे किसी भी काम को करने की रिस्क नहीं लेते है, तब तक हम उसके बारे में नहीं जान सकते हैं। तो रिस्क को डर न समझते हुए उसके लिए तैयार रहे।
लोगों के प्रलोभन से हमेशा बचे
अपने काम के प्रति और खुद के प्रति हमेशा यकिन बनाकर रखे कि, कुछ भी हो जाए जिस काम को हमने शुरु किया है, उसे हम ही हमेशा तरक्की कि राह पर ले जाएंगे, कोई और नहीं। फेसबुक शुरु होने के 4 महीने के बाद ही निवेशक इसे खरीदने का प्रस्ताव लेकर आगे लगे थे, कई फाइनेंसर ने बोली भी लगाई पर मार्क का खुद पर यकिन था। उन्होंने हर प्रलोभन को दर किनार कर दिया। अपनी लाइफ में मार्क ने सभी को अहमियत दी है, उनकी पत्नी प्रिस्किला चैन को भी उन्होंने अपनी लाइफ में पूरी तरह शामिल किया है। प्रिस्किला भी उनके साथ फेसबुक के बिजनेस को आगे बढ़ाने में काम कर रही हैं।
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