मनचले मर्दों को अपनी औकात बताती है ‘आरा की अनारकली’
समाज में चमक-दमक तो सभी को अच्छी लगती है, हर कोई चाहता है कि उसके पास पैसा हो, शोहरत हो और एक खूबसूरत बीवी हो। वैसे समाज में कई लोग ऐसे भी है जिनका मन सिर्फ खूबसूरत बीवी से नहीं भरता, वे हर उस औरत को पाना चाहते हैं जो उनकी नज़र में खूबसूरत होती है कुछ इसी तरह की कहानी को लेकर इस बार की फिल्म ‘अनारकली ऑफ आरा’ आई है।
कहानी बिहार जिले के आरा की है जहां आज भी मनोरंजन का साधन नाचने-गाने वाली बाईयों को समझा जाता है। अक्सर आपने कई जगह शदियों में या किसी फंक्शन में देखा होगा कि लोग पैसे देकर औरतों को नचवाने बुलाते है तो इसमें भी कुछ इसी तरह दिखाया गया है। आरा में भी इसी तरह का रिवाज है जहां शादियों और फंक्शन में नाचने वाली बाईयों को बुलवाना लोगों की शान होती है।
फिल्म की कहानी आरा जिले से शुरू होती है जहां पर एक समारोह में एक महिला नाच रही होती है समारोह में सब उस महिला के साथ झूम रहे होते हैं और तभी भीड़ में सें एक गोली चलती है और उस महिला की वहीं मौत हो जाती है ये महिला अनारकली यानि स्वरा भास्कर की मां थी। मां की मौत की समय अनाकरली छोटी रहती है लेकिन 12 साल बाद अनारकली भी वहीं करती है जो उसकी मां किया करती थी।
अनारकली जब बड़ी होती है तो वो रंगील (पंकज त्रिपाठी) के ऑर्केस्ट्रा ग्रुप में शामिल हो जाती है वो इस ग्रुप में सबसे बेहतरीन गाने वाली बन जाती है और उसकी आवाज के चर्चे पूरे आरा में होते है। अनारकली जब भी अपनी आवाज में ठुमके लगाती है तो स्टेज पर नोटों की बारिश हो जाती है।
अनारकली की ज़िन्दगी यूं ही चलती रहती है तभी उसे पुलिस थाने के एक फंक्शन में परफार्म करने का मौका मिलता है। इस फंक्शन में चीफ गेस्ट के रूप में बुलाया जाता है आरा के एक विश्वविधालय के वीसी और स्टेट के चीफ मिनिस्टर के ख़ास माने जाने वाले धर्मेन्द्र चौहान को। अनारकली जैसे ही स्टेज पर अपना परफॉरमेंस शुरू करती है दोनों का दिल अनारकली पर आ जाता है। ये दोनों ही उसे पाने के लिए भूखे शेर की तरह स्टेज पर दौड़ पड़ते है। स्टेज पर जाकर ये दोनों अनारकली के साथ अश्लील हरकत करने पर उतारू हो जाते है और इसी से परेशान होकर अनाकरली एक थप्पड़ रसीद कर देती है।
स्टेज पर पब्लिक के सामने थप्पड़ खाने से चौहान साहब का ईगो हर्ट हो जाता है और उनका पारा सातवे आसमान पर चड़ जाता है, मन में बस यही बात चलती है कि एक नाचने-गाने वाली ने उन्हें सबके सामने थप्पड़ मारा तो मारा कैसे, अब वो उसे उसकी औकात बताकर ही रहेंगे। इसके बाद चौहान किसी भी कीमत पर अनाकरली को हासिल करना चाहता है और इसके बाद अनारकली इनसे बचने के लिए संघर्ष करती है अनारकली का संघर्ष काफी संघर्षों से भरा है जिसमें इस समाज की कीचड़ आपको देखने को मिलेगा। फिल्म किस तरह आपने आखिरी ठिए पर पहुंचती है ये तो आपको पूरी फिल्म थिएटर में देखने के बाद ही पता चलेगा।
एक्टिंग
अगर आप बॉलीवुड के बारे में ज़्यादा नहीं भी जानते हैं तो स्वरा भास्कर को तो आप जानते ही होंगे ‘प्रेम रतन धन पायो’ में वो सलमान की खड़ूस बहन बनी थी। स्वरा भास्कर अपनी एक्टिंग के लिए ही जानी जाती है इस फिल्म के लिए भी जमकर होमवर्क किया है। शूटिंग शुरू होने से पहले स्वरा ने बिहारी सीखी और फिर उस माहौल में ढलने के लिए स्वरा एक महीने आरा के एक छोटे से होटल में रही। फिल्म के विलेन संजय मिश्रा ने तो लोगों का दिल ही जीत लिया समझो। वहीं फिल्म के अन्य कलाकार भी अपने रोल में एक दम फिट बैठते नज़र आ रहे हैं।
डायरेक्शन
फिल्म के डायरेक्ट अविनाश दास मीडिया से है और ये उनकी पहली फिल्म है। मीडिया पर्सन के दिल में बड़ी टीस होती है कि वो समाज की बुराईयों को उजागर करे अब अविनाश ने समाज के इस पहलू को बहुत ही शानदार तरीके से बड़े पर्दे पर उतारा है जो लाजवाब है। फिल्म में सबसे स्ट्रॉन्ग पाइंट फिल्म का लोकर लैंग्वेज में होना और सभी की एक्टिंग दमदार होना ही है।
म्यूजिक
फिल्म के गाने पहले भले ही पॉपुलर न हुए हो लेकिन जब आप मूवी को देखेंगे तो फिल्म के गाने आपको फिल्म का इंट्रेस्ट बढ़ाने में मददगार होते दिखेंगे। इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार थोड़ी सुस्त है लेकिन क्लाइमैक्स देखकर आपके पेसे वसूल हो जाएंगे। अगर आप धांसू एक्शन या चमक-दमक वाली फिल्में देखकर बोर हो गए हैं तो आप अनारकली ऑफ आरा को जरूर देख सकते हैं।
- - Advertisement - -