चंद्रमा पर पहला कदम रखने वालें ‘नील आर्मस्ट्रांग’ ने आज भी छोड़े कई निशान
16 जुलाई 1969, फ्लोरिडा में कुछ ऐसा होने जा रहा था जो पहले कभी नहीं हुआ था। शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि ऐसा होगा। इस दिन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में सुबह तैयारियां थी चंद्रमा पर जाने की। यह चंद्रमा पर जाने के लिए अमेरिका का पहला मिशन था जिसमें तीन लोग जा रहे थे। अमेरिका के मिशन ने दुनिया में तहलका ही मचा के रख दिया था। अमेरिका का यह मिशन उस समय वाकई धमाका करने वाला था क्योंकि पहली बार कोई इंसान चांद पर कदम रखने वाला था।
अमेरिका के चांद पर मानव भेजने वाले इस मिशन को अपोलो 11 नाम दिया गया था। जिसमें लूनार मॉड्यूल ने चंद्रमा पर मानव को ले जाने मे अहम भूमिका निभाई थी। इसके कमांडर थे नील आर्मस्ट्रांग जिन्होंने इस पूरे मिशन में एक अहम भूमिका निभाई थी। इनके अलावा इसमें कमांड मॉड्यूल पायलट थे माइकल कॉलिन्स और लुनार मॉड्यूल पायलट थे बज एल्ड्रिन। ये तीनो ही अपोलो 11 मिशन के अंर्तगत चंद्रमा पर गए थे। चंद्रमा पर अमेरिका का झंडा फहराकर आए नील आर्मस्ट्रांग की मृत्यु आज ही के दिन यानी 24 अगस्त को हुई थी।
चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को ओहियो में हुआ था।
नील आर्मस्ट्रांग अपने शुरूआती दिनों में नेवल एविएटर थे। इसके बाद इन्होंने 1955 में नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स ज्वाइन की थी। यहां पर ये 17 सालों तक इंजीनियर, टेस्ट पायलट, एस्ट्रोनॉट के पदों पर रहे।
आर्मस्ट्रांग ने नासा में कई हाई स्पीड एयरक्राफ्ट पर रिसर्च पायलट रहे। उन्होंने 200 से ज्यादा एयरक्राफ्ट, रॉकेट, हेलीकॉप्टर, ग्लाइडर और जेट उड़ाने का अनुभव था। आर्मस्ट्रांग को 1962 में एस्ट्रोनॉट के रूप में पहचान मिली। इस समय उन्हें जेमिनी 8 मिशन के तहत कमांड पायलट बनाया गया था। आर्मस्ट्रांग पहली बार सफलतापूर्वक दो व्हीकल को स्पेस में ले गए थे।
इसके बाद ही उन्हें अपोलो 11 मिशन के लिए चुना गया। जिसमें उन्हें चंद्रमा पर पहली बार उतरने वाले व्यक्ति के रूप में पहचान मिली। वे इस मिशन में लुनार मॉड्यूल को चंद्रमा पर ले जाने वाले मुख्य कमांडर थे।
इस मिशन की सफलता के बाद उन्हें वाशिंगटन डीसी के नासा हेडर्क्वाटर में डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में चुना गया। इसके बाद वे 1971 से 1979 तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे। नासा में उन्हें अलग-अलग सम्मानों से नवाजा भी गया।
अमेरिका के अपोलो 11 मिशन को कुछ वैज्ञानिक नकली भी बताते है कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी शूटिंग फिल्म की तरह की गई है। वैज्ञानिकों ने इस मिशन से जुड़े कुछ तथ्य भी बताएं है कि इस मिशन की हकीकत को बताते है।
इस मिशन का प्रसारण सीधे अमेरिकन टेलीविजन पर किया गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब नील ऑर्मस्टांग और बज एल्ड्रिन अमेरिकी झंडे को वहां लगा रहे थे तो वह लहरा रहा था। जबकि चंद्रमा के वातावरण में हवा है ही नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है। इस बात को लेकर आज तक विवाद है।
अपोलो 11 मिशन को ये भी कहा जाता है कि इसे किसी स्टूडियो में शूट किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर वे चंद्रमा पर उतरे तो एस्ट्रोनॉट की चलने पर वे एकसमान ऊंचाई पर ही कूद रहे थे। उनकी ऊंचाई में कोई फर्क नहीं आया। चंद्रमा पर हवा न होने और ग्रेविटी के कारण ऐसा नहीं हो सकता।
चंद्रमा पर जाने के अमेरिका के इस मिशन को लेकर काफी भ्रांतियां है जो आज तक नहीं सुलझ पाई है।
Courtesy- NASA.gov