तो इसलिए पत्नी के प्रेमी की हत्या करने वाले नानावटी बन गए देश के रीयल हीरो
ये केस दिखने में जीतना सीधा सा लग रहा है दरअसल उतना सीधा है नहीं क्योंकि इस केस की सारी कहानी केस के कोर्ट में पहुंचने के बाद शुरू होती है। ये इंडियन हिस्ट्री का सबसे यादगार केस है जिसमें उस वक्त के पीएम जवाहरलाल नेहरू को भी दिलचस्पी थी। इस केस को ज्यूरी सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया। हालांकि इस केस में सभी को पता था कि नानावटी ने अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या की है लेकिन इसके बाद भी वे एक हीरो बनकर उभरे पूरे देश की नजरे क्यों उन्हे हीरो बनाने में लग गई। क्यों वहां मौजूद सब लोग नानावटी की रिहाई की दुआ करने लगे। ऐसा क्या था जो नानावटी इतने बड़े रियल हीरो बन गए कि कोर्ट और देश में खलबली मच गई कुछ तो ऐसा था जो आपके और हमारे लिए जानना जरूरी है। तो आइए आपको बताते है कि आखिर इस मर्डर के पीछे क्या था कारण….
नानावटी ने पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया था ओर कहा था कि ‘‘मैने एक आदमी को गोरी मारी है।’’ इसके बाद गवाहों और सबूतों के आधार पर पुलिस ने उन्हे अरेस्ट किया और कोर्ट में केस फाइल किया गया।
23 सितंबर 1959 को उनके केस की सुनवाई शुरू हुई ये केस सबसे पहले ज्यूरी में चला। ज्यूरी में कुल 9 सदस्य थे। जिनमें दो पारसी, एक एंग्लो इंडियन, एक क्रिस्चियन और पांच हिंदू थे। सरकारी वकील ने उन पर प्रेम आहूजा की इरादतन हत्या का आरोप लगाया था। ये पूरा ट्रायल एक महीने तक चला था। ज्यूरी ने जांच के लिए वारदात की जगह पर जाकर देखा भी। इस केस में 24 गवाहों की गवाही भी ली गई। इंस्पेक्टर लोबो के सामने उन्होने सरेंडर किया था उनकी गवाही भी ली गई।
इंस्पेक्टर लोबो ने अपनी गवाही में कहा था कि ‘‘नानावटी ने जब सरेंडर किया, तब उन्होने अपनी ऑफिस ड्रेस पहनी हुई थी। उनकी ड्रेस सफेद थी और उस पर एक भी खून का धब्बा नही था।’’
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