स्कूल टाइम में यूं तो आपने कई वैज्ञानिकों के नाम पड़े होंगे, जिन्होंने अपने क्रिएटिव आइडियाज से हमारी जिन्दगी को काफी आसान बना दिया। इनमें से ग्राहम बैल, थॉमस एडिसन, लियोनार्डो विंची ऐसे नाम हैं, जिनके बारे में आपने खूब पढ़ा होगा और अब आपको ये नाम याद भी हो गए होंगे, लेकिन क्या आपने कभी किसी महिला वैज्ञानिक का नाम इन किताबों में पढ़ा है। शायद ही ऐसा हो।
लेकिन आज हम आपको ऐसी महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अगर न होतीं, तो शायद आपकी जिन्दगी इतनी आसान न हो पाती। इन महिलाओं के क्रिएटिव ब्रेन ने ही हमारी जिन्दगी से जुड़ी ऐसी चीजों का आविष्कार किया, जिनसे आज हमारे काम फटाफट हो जाते हैं और हमारी जिन्दगी इतनी आसान बन गई। जानिए इन महिला वैज्ञानिकों के बारे में।
कॉल वेटिंग इन्हीं की देन
फोन पर बात करते समय जो कॉल वेटिंग का ऑप्शन आता है उसका आविष्कार डॉ.शर्ली एस जेक्सन ने ही किया था। वह एक भौतिकीशास्त्री थीं। 1970 में उन्होंने जो रिसर्च किया था वह कॉलर आईडी और कॉल वेटिंग बनाने में काम आया। मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक् नोलॉजी से पीएचडी करने वाल ये पहली अफी्रकी अमेरिकी महिला थीं।
इन्होंने किया डिशवॉशर का आविष्कार
अगर हाउस वाइव्स से पूछा जाए कि उन्हें घर में कौन सा काम करना बेहद बुरा लगता है तो ज्यादातर का जवाब होगा बर्तन धुलना। उनके इस काम को आसान बना दिया वैज्ञानिक जोसफ्रीन कोक्रीन ने। उन्होंने एक डिशवॉशर बनाया, जिसने आज महिलाओं का काम काफी आसान बना दिया है। उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई जिसमें तांबे के बॉइलर के अंदर घूमने वाला एक पहिया लगा था। यह वॉटर प्रेशर पर काम करने वाला पहला डिश वॉशर था। उनके शराबी पति उन्हें कर्ज में छोड़कर चल बसे थे। मगर उन्होंने साल 1886 में अपना यह आविष्कार पेटेंट करवाया और फैक्टरी खोल दी।
इस महिला वैज्ञानिक ने दी हर महिला को सुरक्षा
महिलाएं जब घर में अकेली होती हैं, तो वे काफी असुरक्षित सा महसूस करती हैं। महिलाओं की इस असुरक्षा को समझते हुए मेरी बान ब्रिटन ब्राउन ने होम सिक्योरिटी सिस्टम का आविष्कार किया। वे नर्स थीं और अक्सर खुद भी घर में अकेली रहा करती थीं। अपने पति अलबर्ट के साथ मिलकर उन्होंने 1960 में पहला होम सिक्योरिटी सिस्टम बनाया था। इसमें मोटर से चलने वाला कैमरा था जो एक छेद के जरिए दरवाजे पर ऊपर-नीचे मूव होता था।
विंडस्क्रीन वाइपर है इनकी देन-
इस आविष्कार की कहानी बड़ी अजीब है। जिस कारण से इसका आविष्कार किया गया था वो तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन विंडस्क्रीन का आविष्कार जरूर हो गया। साल 1903 की बात है जब मेरी एंडरसन सर्दियों में न्यूयॉर्क आई हुई थीं। उन्होंने देखा कि ड्राइवर बार-बार खिड़की खोलकर विंडस्क्रीन साफ कर रहा है। ऐसा करने से कार में बैठे लोगों को ठंड लग रही है। तभी उनके दिमाग में विंडस्क्रीन वाइपर बनाने का आइडिया आया। इसकी खासियत ये थी कि इसे कार के अंदर से ही हिलाया जा सकता था। हालांकि उस वक्त कार कंपनियों ने उनके आविष्कार को ये कहकर खारिज कर दिया कि इससे ड्राइवर का ध्यान भंग होगा। मेरी को तो इस आविष्कार से फायदा नहीं हुआ, लेकिन आज हम सब उसी विंडस्क्रीन वाइपर का इस्तेमाल अपनी गाडिय़ों में करते हैं।