स्मार्टफोन और इंटरनेट के यूज से सेहत और वातावरण को खतरा
जून 2016 में जारी मोबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन और इंटरनेट में बेहिसाब बढ़ोतरी होने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके साथ ही इनसे होने वाले नुकसान के बारे में भी बहस शुरू हो गई है। वैसे तो इंटरनेट पर बहुत कुछ मिल जाता है, लेकिन एंड्रॉयड ऑथेरिटी वेबसाइट पर वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक स्टडी इस संबंध में वैज्ञानिक तरीके से कुछ बातें बताती है। इसके अनुसार स्मार्टफोन और अन्य ऐसे गैजेट्स से इतना डरने की जरूरत नहीं है, कयोंकि इनके रेडिएशन इतने खतरनाक नहीं होते। स्मार्टफोन, टीवी, रेडियो से निकलने वाली रेडिएशन नॉन आयोनाइजिंग श्रेणी में आते हैं इसलिए ये शरीर में मौजूद इलैकट्रोन को अलग नहीं कर पाते। ऐसे रेडिएशन से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इनकी फ्रीकवेंसी और ववलैंथ दोनों ही कम होती हैं। इनसे केवल शरीर गर्म होता है और ये कैंसर उत्पन्न नहीं करते हैं जैसा कि माना जाता है।
जबकि यूवी रेज जैसे एकस रेज और गामा रेज से निकलने वालली रेडिएशन की हाई फ्रीकवेंसी और कम वेव लैंथ होती है। ऐसे रेडिएशन मानव शरीर के एटम से इलैकट्रोन अलग कर देते हैं इसलिए इन्हें आयोनाइजिंग रेडिएशन कहा जाता है। इनका शरीर पर जानलेवा प्रभाव होता है और ये कैंसर भी उत्पन्न कर सकता है। डबल्यूएचओ की तरफ से स्मार्टफोन को कलीन चिट दिए जने के बाद यह तेज हो गया है कि कया लांग टर्म में भी ये गैजेट नुकसानदायक नहीं होंगे। फिर भी वैज्ञानिक इस संबंध में लोगों को सावधानी बारतने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि अभी और रिसर्च किया जाना बाकी है तब तक यूजर्स कोशिश करें कि कम से कम रेडिएशन को ग्रहण करें।
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