पांचवी पास महिलाओं ने बना डाली खुद की इंश्योरेंस कंपनी
अगर इंसान में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो वो कुछ भी कर सकता है ऐसा हम नहीं ऐसा एक गांव की महिलाओं की कहानी को देखकर लगता है। ये कोई कहानी नहीं है ये असलियत है। आज जिन महिलाओं के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी कहानी हो सकता है आपको हैरान कर दे लेकिन दुनिया में या यूं कहे भारत में ही कुछ ऐसी महिलाएं है जो बहुत कम पड़ी लिखी है और उन्होंने खुद की इंश्योरेंस कंपनी खड़ी कर ली।
एक छोटा सा बैंक खोलना या छोटी सी इंश्योरेंस कंपनी खोलना भारत मे किसी के लिए इतना आसान नहीं है वो भी उन हालातों में जब सरकार भी मदद करने से मना कर दे। लेकिन पांचवी पास इन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी। इनके हौसले इतने बुलंद थे कि आज सब इनकी तारीफ करते नहीं थकते। कम पड़ी लिखी महिलाओं को अक्सर घर के काम करने वाली महिला ही समझा जाता है लेकिन ये महिलाएं आपकी सोच को बदल देंगी।
ये महिलाएं भारत के राजस्थान के धौलपुर जिले की है। ये डांग इलाके में रहती है। यहां की तीन महिलाओं ने खुद की बीमा कंपनी खड़ी कर 110 ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ हायर क्वालीफाइड युवकों को भी न सिर्फ रोजगार दिया है बल्कि आत्मनिर्भर बनकर नारी के अबला से सबल बन जाने का संदेश भी दिया है। इन महिलाओं ने अपने गांव में अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं के हौसलों को भी बुलंद किया है।
कैसे हुई शुरूआत
इन महिलाओं के इस अनोखे बीमा कंपनी को शुरू करने की कहानी बड़ी दिलचस्प हैं। धौलपुर जिले के डांग इलाके के सरमथुरा में लोगों के पास अजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है लेकिन पशुओं में वहां रोग फैलने की वजह से मरने की संख्या ज़्यादा हो गई। इस स्थिति में बैंक ने बीमा करने से पूरी तरह मना कर दिया। ऐसे में खुद को ग्रामीणों को इस नाजुक परिस्थिति से उबरने के लिए डांग की इन 3 महिलाओं ने जो कि सिर्फ पांचवी तक पढ़ी-लिखी है। साल 2003 में खुद की बीमा कंपनी खड़ी कर दी और इस बीमा कंपनी का नाम उन्होंने ‘सहेली राहत कोष’ दिया।
बैंकों ने कर दिया था मना
यहां पर पशुओं में बीमारी फैलने के कारण बैंकों ने भी इनका बीमा करने से मना कर दिया था। जिन पशुओं का बीमा बैंकों ने किया उनके क्लेम देने में ऐसी शर्ते रखी कि क्लेम के हकदार बड़ी मुश्किल से क्लेम ले पाते थे। ऐसे में इन महिलाओं ने इन लोगों की परिस्थितियों को देखकर खुद की बीमा कंपनी खोलने का निर्णय लिया। सहेली राहत कोष बीमा कंपनी की अध्यक्ष राधा कहार है। कोषाध्यक्ष राजबाला हैं और उपाध्यक्ष बेबी ठाकुर है।
50 गांवों में संचालित
वर्तमान में सहेली राहत कोष 50 गांवों में संचलित है। ये बिना किसी सरकार की मदद के अपना काम भली-भांति कर रही है। बीमा कंपनी को बनाने और इसे चलाने की पूरी योजना में संजय शर्मा नाम के व्यक्ति ने इनका पूरा सहयोग किया है और अब भी कर रहे है। पांचवी पास ये महिलाएं इस राहत कोष के माध्यम से लगभग 60 से भी ज़्यादा पुरूषों और महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं।
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