मुंबई को दहलाने वालों पर कोर्ट का फैसला
साल 1993 में मुंबई में एक के बाद एक धमाके हुए थे। मुंबई का आधे से ज़्यादा भाग इन बम धमाकों से दहला था। मुंबई को दहलाने वाले इस मामले में यह कोर्ट का दूसरा और अंतिम फैसला है। इसके पहले साल 2007 में एक फैसला सुनाया गया था जिसमें 100 लोगों को दोषी पाया गया था इसमें संजय दत्त का नाम भी था।
मुंबई के लोगों में धमाकों की दहशत फैलाने वाले आरोपियों पर टाडा कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है जिसके मुताबिक मोहम्मद दोषा को दोषी पाया गया है। ये दाऊद इब्राहिम का खासमखास मैनेजर माना जाता था और दाऊद के कई काम देखता था। इसे हत्या, आंतक और आर्म्स एक्ट के चार्जेस में दोषी पाया गया है। फिरोज राशिद अब्दुल खान को भी दोषी पाया गया है। इसका नाम अबू सलेम के स्टेटमेंट में आया था जिसके बाद इसे गिरफ्तार किया गया था। इसे 120 बी के तहत टेरेरिस्ट एक्टिविटी में दोषी पाया गया है। इस पर कस्टम अधिकारियों को घूस देने का आरोपी भी पाया गया है। ताहिर मर्चेन्ट को भी इसमें दोषी पाया गया है। ये अनीज इब्राहिम का करीबी माना जाता था। इसके अलावा करीमुल्लाह शेख को भी दोषी करार दिया गया है। इसके साथ ही अबू सलेम को भी इस केस में दोषी पाया गया है।
कोर्ट ने अबू सलेम समेत 6 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जबकि एक आरोपी अब्दुल काय्यूम को बरी कर दिया है। कोर्ट ने एक-एक करके आरोपियों पर फैसला सुनाया। अबू सलेम के अलावा मुस्तफा डोसा, फिरोज अब्दुल रशीद खान, ताहिर मर्चेंट, करीमुल्ला खान व रियाज सिददीकी को भी दोषी करार दिया गया है। सलेम को भरूच से मुंबई हथियार लाने का दोषी पाया गया है। मुस्तफा डोसा को हत्या, साजिश और आतंकी गतिविधियों का दोषी पाया गया है। फिरोज अब्दुल रशीद खान को साजिश रचने और हत्या का दोषी पाया गया है। ताहिर मर्चेंट का धमाके की साजिश में शामिल रहने का दोषी पाया गया है। टाडा कोर्ट का मानना है कि मुस्तफा डोसा, अबू सलेम, ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान मुख्य साजिशकर्ता थे। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 19 जून तय की है।
ये हैं 6 मुख्य आरोपी
इस मामले में अबू सलेम पर आरोप थे कि उसने मुंबई धमाकों के लिए एक्सप्लोसिव को मुंबई के ठिकानों पर पहुंचाने का आरोप है। साथ ही उस पर संजय दत्त के घर जाकर एके-47 राइफल और हथगोले देने का भी आरोप है। वही मुस्तफा दौसा पर आरोप है कि उसने धमाके के लिए मुंबई के समुद्र के किनारे आरडीएक्स और दूसरे एक्सप्लोसिव्स उतरवाए थे।
रियाज सिद्दीकी पर आरडीएक्स से भरी मारूति वैन को गुजरात के भरूच में अबू सलेम के हवाले करने का आरोप है। फिरोज और करीमउल्लाह पर धमाके के सामान पहुंचाने का आरोप है. जबकि मोहम्मद ताहिर मर्चेंट पर धमाके में शामिल कई अभियुक्तों को ट्रेनिंग के लिये पाकिस्तान भेजने का आरोप है. वहीं अब्दुल कय्यूम पर भी संजय दत्त को हथियार पहुंचाने का आरोप है. धमाकों के लिए तीन हजार किलो से ज्यादा का आरडीएक्स समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचा था लेकिन केवल दस फीसदी का ही इस्तेमाल हुआ था।
2015 में दी थी याकूब को फांसी
मुंबई धमाकों की लगातार चली सुनवाई के बाद सबसे अहम फैसला साल 2006 में आया था। टाडा कोर्ट ने 123 अभियुक्तों में सौ लोगों को सजा सुनाई थी, जबकि 23 लोगों को बरी कर दिया था। धमाकों के वांटेड टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन को इसी फैसले में सजा सुनाई गई थी। याकूब मेमन को 30 जुलाई 2015 को महाराष्ट्र के यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
सात अभियुक्तों पर क्यों चली अलग से सुनवाई
लेकिन सात दूसरे अभियुक्तों पर फैसला नहीं हो सका था क्योंकि इनको साल 2002 के बाद विदेश से प्रत्यर्पित कराना पड़ा था. इन सातों अभियुक्तों पर अलग से सुनवाई शुरु की गई थी. अदालत का मानना था कि इन सातों की सुनवाई भी एक साथ करने से फैसला आने में देर हो सकता है. तभी टाडा कोर्ट ने मुंबई ब्लास्ट केस को दो हिस्सों में बांटा था.
257 लोगों की जान गई थी
साल 1993 में मुंबई में कुल 12 जगहों पर धमाके हुए थे। धमाकों की वजह से 257 लोगों की जानें गई थी। धमाकों की साजिश सीमा पार से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन, मोहम्मद दौसा और दूसरे साथियों ने की थी। 1993 में मुंबई पुलिस ने अदालत में दस हजार पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें 189 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इनमें मुख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन हैं। कुल 27 अभियुक्त अभी तक फरार हैं।
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