टीचर्स डे स्पेशल: जानिए किनके गुरुमंत्र से खेलों में चमके ये सितारे
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“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काको लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बताय।”
कबीर ने इन पंक्तियों में बताया कि ईश्वर से पहले गुरु का स्थान है। 5 सितंबर को टीचर्स डे है और इसके उपलक्ष्य में हम आपको उन गुरुओं से मिलवाने जा रहे हैं जिनके हाथों ने सामान्य बच्चों को तराश कर खेल जगत के सितारों में बदल दिया। इन सितारों से तो दुनिया बखूबी रूबरू है लेकिन आज वक्त है उन गुरुओं को सलाम करने का जिनके अनमोल हीरों ने पूरी दुनिया में भारत का रोशन किया। आइए ‘टीचर्स डे ‘ के मौके पर जानते हैं उन गुरू के बारे में जिनके गुरुमंत्र से खेलों में चमके ये सितारे..
साइना नेहवाल और गुरू पुलेला गोपीचंद
अपने खेल के दिनों में गोपीचंद खुद अच्छे किस्म की शटल कॉक की कमी से जूझते रहे थे। उस जमाने में रिहैब या विश्वस्तर की ट्रेनिंग की कोई सोच ही नहीं थी, प्रायोजक भी ना के बराबर हुआ करते थे। ऐसे कोच भी ज्यादा नहीं थे, जिनमें चीनी खिलाडिय़ों के दबदबे को खत्म करवा पाने का माद्दा हो। खिलाड़ी के रूप में समय पूरा होने के बाद 2003 की गर्मियों में गोपीचंद ने कुछ बच्चों को सिखाना शुरू किया। तब 14 साल की साइना उन्हीं में से एक थीं। साइना में गोपीचंद को अपना अक्स नजर आया-उन्हीं के जैसा जुझारूपन और बैडमिंटन के बड़े-बड़े धुरंधरों से आतंकित होने से इनकार। गोपी पूरी तरह साइना को सिखाने में जुट गए। नेहवाल के अलावा पी. वी. सिंधु जैसे खिलाड़ी भी गोपी सर की देखरेख में तैयार हो रहे हैं।
सचिन तेंडुलकर और गुरु रमाकांच आचरेकर
रमाकांत आचरेकर सचिन के बचपन के कोच रहे हैं। 11 साल के सचिन के भाई अजित तेंडुलकर उन्हें आचरेकर के पास ले गए थे। तब आचरेकर श्रद्धाश्रम बालविद्या मंदिर के कोच थे। सचिन को उन्होंने उसी स्कूल में दाखिला दिला दिया। आचरेकर सचिन की प्रतिभा को पहचान गए और उन्हें दूसरे क्लब के साथ खेलने अपने साथ लेकर जाते थे। बस यहीं से सचिन का क्रिकेट के भगवान बनने का सफर शुरू हो गया। दिलचस्प बात तो ये है कि आचरेकर का बतौर क्रिकेट करियर कुछ खास नहीं रहा, लेकिन उनके शिष्यों ने उनका नाम खूब रोशन किया।
सुशील कुमार और गुरू सतपाल
पहलवान सुशील कुमार ने अपने कोच सतपाल का नाम रोशन कर दिया है। सतपाल खुद एक जमाने में एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। यहां तक कि कुल 19 साल की उम्र में उन्होंने भारत केसरी का खिताब जीता और एक दिन में 21 कुश्ती लडऩे का रिकॉर्ड भी उनके नाम है। सतपाल तकनीकी तौर पर खासे मजबूत हैं, लिहाजा उनके शिष्यों में अलग बात दिखाती है। उनके शिष्य पिछले कुछ बरसों से लगातार बढिय़ा है। महाबली सतपाल की देखरेख में सुशील कुमार काफी कड़ा अभ्यास कर रहे हैं और उम्मीद है कि 2016 में ओलिंपिक से भी भारत के लिए मेडल लाएंगे।
विराट कोहली और गुरू राजकुमार शर्मा
टीम इंडिया के टेस्ट कैप्टन विराट कोहली में किसी को सचिन की इमेज नजर आती है तो किसी को धोनी की। खुद उनके बचपन के कोच राजकुमार मानते हैं कि विराट काफी मैच्योर हैं और अच्छी तरह जानते हैं कि क्या कर रहे हैं। 10 साल की उम्र से राजकुमार सर से ट्रेनिंग लेने वाले विराट हर मैच के बाद अपने कोच को फोन करके अपनी परफॉर्मेंस पर उनकी राय लेते हैं। राजकुमार भी उन्हें अच्छे-बुरे वक्त में रोजाना बात करके सही सलाह देते हैं।
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