सुशांत ने बनाया कैंसर सर्वाइवर्स के लिए सोशल प्लेटफॉम
By : Shirish Yaatri
जब 2011 में ग्रेजुएट हो कर सुशांत कोडेला मुंबई आए तब उन्हें ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि आने वाले समय में वे कुछ ऐसे अनुभवों का सामना करेंगे जो उनकी जिंदगी बदल देंगे। तेलंगाना के वारांगल शहर में रहने वाले 29 साल के सुशांत कम्प्यूटर साइंस से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने अपने किस्म के एक लौते कॉलेज ‘‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस‘‘ (TISS) में सोशल इंटरप्रन्योरशिप में मास्टर डिग्री करने के लिए एडमिशन लिया। वे बिज़नस के साथ-साथ सोशल वर्क भी करना चाहते थे।
उनका कहना है, ’’मैं सच में बहुत बुरा इंजीनियर था। मैं हमेशा सोशल वर्क में ही लगा रहता था। मेरा इंट्रेस्ट कभी कम्प्यूटर साइंस में था ही नहीं।‘‘ सुशांत सालों से गॉयनेकोमेस्टिया जैसी हैल्थ प्रॉब्लम्स से जूझते आए हैं। मुंबई आने के बाद उनकी तबियत और भी बिगड़ने लगी थी।
TISS में पहले सेमेस्टर के बीच ही स्पेशलिस्ट ने उन्हें हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी देना शुरू किया मगर फिर भी उन्हें राहत नहीं मिली। इस दौरान उनका 13 किलो वजन घट गया। अंत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों को जांच करते वक्त एडरनल ग्लैंड के बाहरी हिस्से में 21 सेमी का ट्यूमर मिला। वही उनकी बीमारी की जड़ था। डॉक्टर पक्का नहीं कह सकते थे कि ट्यूमर में कैंसर फैल चुका है या नहीं मगर प्रिकॉशन के तौर पर दिसंबर 2011 में सुशांत की एक किडनी और एडरनल ग्लैंड निकाल दी गई।
सर्जरी के बाद टेस्ट रिपोर्ट्स में पता चला कि सुशांत का ट्यूमर ‘एड्रैनोकॉरटिकल कॉरसिनोमा‘ था। ये एक बेहद दुर्लभ किस्म का कैंसर होता है जो पूरी दुनिया में कुछ हजार लोगों में ही पाया गया है। इलाज के समय उनका वजन काफी घट चुका था, जिसे रिकवर करने में उन्हें चार महीने का वक्त लगा। शारीरिक तौर पर तो वे ठीक हो चुके थे मगर मानसिक तौर पर वे अपने जीवन से हताश थे। एक साल तक वे इस सदमे से उबर नहीं पाए। उन्हें लगने लगा था कि कैंसर के बाद उनकी जिंदगी खत्म हो चुकी है।
वे पूरी तरह अपने दोस्तों से दूर हो चुके थे। उन्हें किसी से भी मिलना अच्छा नहीं लगता था। उन्हें अपने भविष्य के लिए कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। अपने आप से ही लड़ते-झगड़ते हुए एक दिन अचानक उन्होंने सोचा कि ‘‘इस तरह रोज मर-मर के जीने से क्या फायदा? अगर यही मेरी किस्मत में लिखा है तो मुझे इससे समझौता करना होगा। मैं इस तरह हार मान कर अपनी ज़िंदगी बर्बाद नही कर सकता।‘‘
इसके बाद वे खुद की तलाश में निकल पड़े। उन्हांने अकेले ट्रेन से एक महीने तक अजमेर, जयपुर, पुष्कर, दिल्ली, चंडीगढ़ और धरमशाला होते हुए हिमाचल प्रदेश की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान वे बहुत से लागों से मिले। तब उन्हें आभास हुआ कि जि्ांदगी इतनी आसान नहींं। दुनिया में लाखों लोग हैं जिनके पास तो इलाज के पैसे भी नहीं, जिनके दर्द हमसे कितने बड़े हैं, सिर्फ हम ही नहीं हैं जो परेशानियां झेल रहे हैं, यहां और भी हैं। फिर वे कॉलेज जाने लगे और अपनी पढ़ाई पूरी की। कोर्स के आखिरी साल में उन्होंने कैंसर के चंगुल से बच निकले लोगों को एक अनोखा तौहफा दिया। उन्होंने ‘‘अन-कैंसर-इंडिया‘‘ नाम का एक सोशल प्लेटफॉर्म बनाया ताकि कैंसर सर्वाइवर्स अपने अनुभवों को साझा कर, निराशा से बाहर निकल, ज़िंदगी की एक नई शुरूआत कर सकें।
सुशांत के अनुसार ‘‘कैंसर से जूझने वाले लोगों के अनुभव बेहद कड़वे होते हैं, उन्हें पता होता है कि आगे क्या होने वाला है, मगर वे बेबस हैं, वे खुद के लिए कुछ नहीं कर सकते। कैंसर खत्म भी हो जाता है मगर उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं होती। उनके लिए सबसे बड़ा चेलैंज होता है खुद को डिप्रेशन से बचाना।‘‘
्रग्रेजुएशन के बाद से सुशांत और उनकी छोटी-सी टीम मिल कर कैंसर सर्वाइवर्स की ज़िंदगी नॉर्मल बनाने के लिए पूरी कोशिशें कर रही है। कुछ कम्पनियां उनकी आर्थिक मदद भी कर रही हैं। उनका अगला कदम हैं गांव-गांव में कैंसर पीड़ितों तक इलाज की सही जानकारियां पहुंचाना। आज भी लोग अपनी बीमारियों के बारे में खुल कर बातें नहीं करते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। सुशांत अपनी वेबसाइट पर और काम कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने प्लेटफॅार्म को पहुंचा सकें।
सुशांत अब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। मगर उन्हें कुछ दिनों के अंतराल में रेडियो लॉजिकल स्कैनिंग करवानी होती है ताकि कैंसर के वापस आ जाने की स्थिति का पता लगाया जा सके। हर स्कैनिंग के लिए उन्हे 25,000 रू खर्च करने पड़ते हैं। वे स्कैनिंग पर अब तक उनकी कैंसर की सर्जरी के बराबर यानी तीन लाख रूपये खर्च कर चुके हैं।
वे लोगों से कहना चाहते हैं कि – ‘‘कैंसर को हरा देने वाले लोग जिंदगी में कुछ भी कर सकते हैं, बस उन्हें मदद की जरूरत है। मेरी दरख्वास्त है कैंसर सर्वाइवर्स से कि अपनी बीमारी को छुपाएं नहीं और सामने आकर, बेफिक्र होकर बात करें, अपने सवालों के जवाब पाएं, और ज़िंदगी में आगे बढ़ें।‘‘