सर्जिकल स्ट्राइक में आर्मी के लिए पहली बार इसरो का इस्तेमाल
नई दिल्ली। उरी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बाद बुधवार देर रात भारत का सब्र टूट गया। भारतीय सेना ने सीमा पर कर आतंकियों को मार गिराया। पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के तौर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में इसरो की मदद ली गई थी। गौरतलब है कि पहली बार आर्मी के किसी बड़े ऑपरेशन के लिए कार्टोसैट सैटलाइट्स का इस्तेमाल किया गया। आखिरी बार इस साल जून में कार्टोसैट सैटलाइट से लांच की गई थी।
इसरो के सूत्रों के अनुसार लाइन ऑफ कंट्रोल पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में आर्मी को सैटलाइट से मिली हाई रेजॉल्यूशन फोटो से बड़ी मदद मिली। सूत्रों ने बताया कि हम सेनाओं को फोटो उपलब्ध कराते रहे हैं खासकर आर्मी को। हालांकि मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं कि बीते सप्ताह में हमने किसी खास दिन कोई खास फोटो भेजी थी। कार्टोसैट इमेज इसी उद्देश्य के लिए होती है और आर्मी ने इनका इस्तेमाल किया है। हालंकि इसरो और रक्षा मंत्रालय दोनों ने कार्टोसैट परिवार के सैटलाइट के इस्तेमाल पर चुप्पी साध रखी है। इन सैटलाइट को एकसपर्ट्स भारत की आई इन द स्काई कहते है।
गौरतलब है कि 18 सितंबर को पाकिस्तान से आए 4 आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में मौजूद आर्मी बेस को अपना निशाना बनाया। हमले में सेना के 17 जवान शहीद हुए थे जबकि तीन अन्य जवानों की अस्पताल में मौत हो गई। हादसा कश्मीर के उरी क्षेत्र में हुआ है। हमले में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहादत देने वाले 17 जवानों के नाम सामने आए हैं। बता दें कि सुबह पांच बजे से उरी में लगातार फायरिंग की जा रही थी। आतंकियों ने अंधेरे का फायदा उठाकर सेना के मुख्यालय में घुसे। लेकिन सेना के जवानों ने उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया। थोड़ी देर बाद ही सेना के जवानों ने आतंकियों को घेर लिया। गौरतलब है कि 5 दिसंबर 2014 को भी आतंकियों ने कश्मीर के इसी हिस्से को अपना निशाना बनाया था। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से पिछले दो महीनों से कश्मीर में अशांति का माहौल बना हुआ है।सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच हुए संघर्ष में अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी हैं।