किसान के बेटे कैसे बने अटल के वेंकैया और मोदी के गारू
70 के दशक में जब BJP नहीं थी, उसका पहले नाम जनसंघ था, जिसे भी ज्यादा कोई पहचानता नहीं था और दक्षिण में तो उसका बिलकुल भी आधार नहीं था, तब आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के पोस्टर लगाने और जनसंघ के झंडे लगाने में व्यस्त रहता था. वही आम कार्यकर्ता मुप्पावरापू वेंकैया नायडू आज NDA से देश के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. तथा इस पद के वे मुफीद भी हैं, तथा उनका इस पर काबिज होना तय माना जा रहा है.
सीधे-सादे किसान परिवार से आज के चिर-परिचित वेंकैया ‘गारू’
आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक सीधे-सादे किसान परिवार से निकलने वाले BJP के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है. वेंकैया का जन्म 1947 में आंध्र प्रदेश में हुआ था. आंध्र प्रदेश विधानसभा में 2 बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे. वे 3 बार कर्नाटक से राज्यसभा में जरूर पहुंच चुके हैं और फिलहाल इस उच्च सदन में ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद उनके लिए तेलुगू के शब्द ‘गारू’ का इस्तेमाल किया था, जो तेलुगू में किसी को सम्मान देने के लिए बोला जाता है. मोदी ने यह ट्वीट किया था कि ”एक कृषक पुत्र एम वेंकैया नायडू “गारू” सार्वजनिक जीवन में वर्षों का अनुभव रखते हैं और हर राजनीतिक वर्ग में सराहे जाते हैं.” एक समय आडवाणी के करीबी रहे नायडू ने 2014 के आम चुनावों से पहले पीएम पद के लिए मोदी का जोरदार समर्थन किया था.
वेंकैया नायडू : युवा नेता से आज के अति वरिष्ठ नेता
वेंकैया ने नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लेते हुए विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व किया. 1974 में वे आंध्र यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. वेंकैया नायडू शुरु से ही पार्टी के भरोसेमंद रहे हैं. इसके बाद वे आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े. आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया. आपातकाल के समय नायडू ABVP के कार्यकर्ता रहे और जेल में भी रहे. बाद में उन्होंने BJP का दामन थामा. उन्हें 1980 में BJP यूथ विंग और आंध्र प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. शुरुआती दौर में वे आंध्र BJP के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे. आंध्र प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ ही सालों बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनको जगह मिल गई. वेंकैया नायडू 1998 से लगातार राज्यसभा के सदस्य हैं. मौजूदा समय में वे राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य हैं. अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है. नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी के बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र BJP का अध्यक्ष बना दिया गया.1993 से 2000 तक वेंकैया BJP के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 2002 में वे पहली बार BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2004 में वे दोबारा अध्यक्ष बने. 2002 से 2004 तक उन्हें बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. नायडू फिलहाल सूचना प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालयों का कामकाज संभाल रहे हैं. वह मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे. वह जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया. Click Page 2 for – उपराष्ट्रपति पद के योग्य कैसे समझे गए?
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