खाट पंचायत के बाद खटिया लूट, देखें वीडियो
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नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रूद्रपुर में खाट पंचायत की। इस आयोजन के बाद पंचायत में आए लोग बैठने के लिए लाई गई खटिया को लेकर चलते बने। जिसके बाद कार्यक्रम स्थल में अफरातफरी मच गई। राहुल गांधी का संबोधन जैसे ही खत्म हुआ वैसे ही ग्रामीण खटिया लेकर भागने लगे। उस वक़्त अजीबो गरीब नजारा देखने को मिला। लोगों में खटिया लूटने की होड़ मच गई। इतना ही नहीं खबरों के अनुसार लोग खाट तो ले जा रहे है साथ ही कुछ लोग खाट के लिए छीनाझपटी भी कर रहे थे।बड़ी संख्या में लोग खाट लूटने में लग गए, अनेक लोग खुद को जोखिम में डालकर खटिया लूटते और भागते देखे गए। जो लोग खटिया लूटने में नाकाम रहे, उनमें काफी गुस्सा देखा गया वे खटिया तो तोड़ते देखे गए।
गौरतलब है कि, खाट पंचायत में राहुल गांधी ने किसानों की समस्याएं सुनीं और उन्हें संबोधित किया, खाट पंचायत से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष ने किसान यात्रा की शुरुआत की। राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने सरकार पर दबाव डालने के लिए 25 सौ किमी लंबी यह यात्रा शुरू की है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान वो किसानों के दुख-दर्द और समस्याएं सुनेंगे और किसानों की बातों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाती रही है। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार उद्योगपतियों के हज़ारों करोड़ के कर्ज तो माफ़ कर रही है। लेकिन किसानों की ओर ध्यान नहीं दे रही है. इस अवसर पर राहुल गांधी ने कहा कि देश के किसानों और मज़दूरों का दुख कांग्रेस का दुख है।
लड्डू-पानी की बोतलें भी लूटीं
राहुल की सभा के बाद लोग वहां रखे 50 किलो लड्डू भी लूट ले गए। मीडिया और कांग्रेस के वर्कर्स के लिए मंगवाई गईं पानी की सैकड़ों बोतलें भी लूट ली गईं या तोड़ दी गईं।
आखिर इस यात्रा को ‘किसान यात्रा’ बनाने का मकसद क्या है ?
बता दें कि अखिलेश सिंह कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता है और जिस क्षेत्र से यात्रा शुरू हो रही है, ये उन्हीं का क्षेत्र है। अखिलेश सिंह कहते है कि केंद्र में जिस तरह से किसानों की उपेक्षा हो रही है उससे किसान ख़ुद को असहाय महसुस कर रहे हैं। जबकि किसान ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अखिलेश ने आगे कहा कि राहुल अक़्सर किसानों की परेशानियों को उठाते रहते है। उनके हित में काम करते है। इसीलिए इस यात्रा को किसान यात्रा का नाम दिया गया है।
बता दें कि अब तक यूपी में सभी राजनीतिक दल सामजिक समीकरणों के आधार पर मतदाताओं को आकर्षित करने में लगे हुए है। लेकिन राहुल का मतदाताओं को रिझाने का तरीका सभी पार्टियों से अलग है वहीं एक उनका नया तरीका भी हैं। उन्होंने ऐसा क्षेत्र भी चुना है जहां ज्यादातर किसान है। राहुल की इस यात्रा का किसान मतदाताओं पर कितना असर पड़ेगा ये तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन हां इसका फायदा राहुल को अगले साल यूपी में होने वाले चुनाव में जरूर देखने को मिलेगा।
राहुल की इस यात्रा पर जानकारों का कहना है कि चुनावी फायदा तो अपनी जगह है, लेकिन इस अभियान के ज़रिए राहुल और उनकी पार्टी क़रीब दो करोड़ किसानों से सीधा संपर्क करने वाले है। अब इसमें देखना ये है कि संपर्क में आने वाले कितने किसान राहुल के वादों से प्रभावित होते है। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र के अनुसार किसान सभी जातीय और धार्मिक वर्गों से है और सभी की समस्याएं भी एक जैसी ही होती है। गौरतलब है कि 2009 में यूपीए सरकार को किसानो की कर्ज़ माफ़ी और मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ मिल चुका है। ऐसे में चुनावी फायदा न हो ये सोचना तो बेमानी होगी।
राहुल गांधी का है ये तीसरा विधानसभा चुनाव
बता दें कि इससे पहले राहुल 2007 और 2012 के चुनाव प्रचार कर चुके हैं। इस बार राहुल ने वहीं रणनीति अपनाई है जो सोनिया गांधी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अपनाई थी। सोनिया ने तत्कालीन वाजपेयी सरकार के खिलाफ पश्चिमी यूपी में किसान विरोधी नीतियों को उजागर किया था। और इसका नतीज़ा ये हुआ था कि उनकी सरकार सत्ता में आई थी।
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