स्टार्ट अप से जुड़ी सरकारी योजनायें
केंद्र सरकार ऐसी कई योजनायें लेकर आयी है जो स्टार्ट अप को अपना आधार तैयार करने में मददगार साबित हो सकती हैं।
आप युवा हैं, नये विचारों से लैस हैं? स्टार्ट अप शुरू करना चाहते हैं? लेकिन अनिश्चितता से डरते हैं? तो अब डरना बंद कर दीजिये। स्टार्ट अप इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पेट प्रोजेक्ट है और इसलिए इससे जुड़े भ्रमों के निवारण का काम भी तेजी से हो रहा है। सरकार चाहती है कि देश में एक ऐसा सुसंगत नीतिगत ढांचा तैयार किया जो स्टार्ट के काम में रुचि लेने वाले लोगों को न केवल सहूलियत मुहैया कराए बल्कि उनको नियामकीय दिक्कतें न हों ऐसी व्यवस्था भी करे। सरकार ने इस सिलसिले में योजनाओं की शुरुआत भी कर दी है।
स्टार्ट अप इंडिया एक्शन प्लान
सरकार ने इस वर्ष जनवरी में स्टार्ट अप इंडिया के लिए कार्य योजना की घोषणा की थी। इसके तहत देश में स्टार्ट शुरू करने वालों को अपने नए विचारों को उचित मंच पर पहुंचाने का मौका दिया जाना है। इसके अलावा देश में स्टार्ट के अनुकूल माहौल बनाना भी इसकी जिम्मेदारी है। इस कार्य योजना में मौजूदा जटिल और लंबी नीतिगत प्रक्रियाओं को शिथिल करने का प्रस्ताव है। उदाहरण के लिये कंपनी का पंजीकरण, श्रम कानूनों का पालन और कुछ खास वर्षों तक आयकर में रियायत देना।
कौन से स्टार्ट अप पा सकते हैं बेनिफिट?
यहां पर सबसे पहला सवाल यह है कि आखिर किस कंपनी को स्टार्ट अप की कैटेगरी में रखा जाये? इसके लिए सरकारी एजेंसियों ने कुछ बेंचमार्क तय कर रखे हैं। आइये जानते हैं उनके बारे मेंः
-वही कंपनी स्टार्ट अप होगी जो किसी और कंपनी से किसी तरह संबंधित न हो।
-किसी बड़ी कंपनी की सब्सिडरी कंपनी को स्टार्टअप नहीं माना जाएगा।
स्टार्ट अप इंडिया पोर्टल
डीआईपीपी यानी डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन ने यह पोर्टल और एक मोबाइल एप शुरू किया है जो स्टार्ट अप से जुड़ी सारी जानकारी और सुविधायें एक क्लिक पर उपलब्ध करा देते हैं। यहां पर विभिन्न स्टार्ट अप के रजिस्ट्रेशन का काम, आवेदन की स्थिति, अनुपालन फार्म भरने जैसे कई सारे काम एक साथ निपटाये जा सकते हैं। यह पोर्टल तत्काल स्टार्ट अप का प्रमाणन करता है जिससे समय की बहुमूल्य बचत होती है।
सरकारी सुविधायें
सरकार ने तमाम ऐसे फंड स्थापित किये हैं जो स्टार्ट अप की वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखने में सक्षम हैं। स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया यानी सिडबी ने 1,000 करोड़ रुपये का फंड बनाया है ताकि स्टार्ट अप की मदद की जा सके।
सरकार ने मुद्रा बैंक की मदद से भी लघु उद्यमियों को बिना गारंटर 10 लाख रुपये तक का ऋण देने की जो योजना शुरू की है उसमें स्टार्ट अप को सबसे अधिक लाभ हो रहा है। भोपाल के स्टार्ट अप कारोबारी परीक्षित शर्मा बताते हैं कि कई सरकारी योजनाएं ऐसी हैं जो कागज पर बहुत अच्छी हैं लेकिन बैंक जाने पर बैंक इतने अड़ंगे लगाते हैं कि लोन नहीं मिल पाता। लेकिन मुद्रा बैंक के साथ हमारा अनुभव बहुत अच्छा रहा। हमें बिना किसी खास कागजी कार्रवाई के एक झटके में ऋण मिल गया।
सरकार ने सरकारी खरीद का 20 प्रतिशत हिस्सा छोटे और लघु उद्यमों से लेने की जो योजना बनायी है उसका फायदा भी स्टार्ट अप को मिलने की संभावना है। हालांकि अधिकांश स्टार्ट अप टेक्नोलॉजी क्षेत्र में हैं इसलिये हो सकता है वे इसका पूरा लाभ न ले सकें। हालांकि इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मार्च में एक सर्कुलर जारी करके इस खरीदारी के लिये योग्य कंपनियों के टर्नओवर जैसी शर्तों को समाप्त कर दिया है ताकि सरकारी खरीद का लाभ अधिक से अधिक कंपनियों को मिल सके।
बौद्धिक संपदा
हमारे देश में अगर किसी चीज पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है तो वह है बौद्धिक संपदा अधिकार कानून। इसके तहत कंपनियां अपने इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राइट्स का बचाव कर सकती हैं। सरकार ने इसके लिये बकायदा स्टार्टअप इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन नामक योजना भी शुरू की है।
कर लाभ
सरकार ने एक अप्रैल 2017 से स्टार्ट अप को कुछ कर रियायत देने की घोषणा भी की है। इसके तहत पूंजीगत लाभ पर कर रियायत प्रदान की जायेगी। शुरुआती कुछ वर्षों तक उनको मुनाफे पर भी कोई कर नहीं देना होगा।
कुल मिलाकर सरकार की मंशा यही है कि देश में अधिक से अधिक संख्या में उद्यमी तैयार हो जायें। जो न केवल खुद रोजगार करें बल्कि औरों को भी रोजगार दें। स्टार्ट अप से जुड़ी कार्य येजना इस दिशा में एक सही कदम है।
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