योगगुरु बाबा रामदेव व्यापारी !
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के उत्पादों की सफलता बताती है कि भारतीय उपभोक्ताओं में अभी भी आस्था का बाजार हावी है।
बाबा रामदेव का परिचय लिखने में ऐसा भ्रम होना स्वाभाविक है? आखिर उनको क्या कहा जाये? योगगुरू, राजनीतिक झुकाव वाला संत या देश की दिग्गज एफएमसीजी (दैनिक उपभोग की उपभोक्ता वस्तु) कंपनियों को पानी पिला देने वाली कंपनी पतंजलि के कर्ताधर्ता?
बाबा रामदेव ने अपने करियर की शुरुआत योग शिक्षा देने से शुरू की थी। उसके बाद वह अन्ना आंदोलन के दौरान काले धन के मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में नजर आए। भाजपानीत सरकार बनवाने में उनकी अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। रामलीला कांड में उन पर पुलिस का लाठीचार्ज और उनका सलवार सूट पहनकर वहां से भागना तो बच्चे बच्चे की जुबान पर है। लेकिन इस बीच में बाबा रामदेव का पातंजलि ब्रांड तेजी से सफलता की सीढिय़ां चढ़ रहा था। आज पातंजलि का कारोबार 5000 करोड़ रुपये का स्तर पार कर चुका है। बाबा रामदेव खुद कह चुके हैं कि अगले साल तक इस कारोबार को 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करवाना है। उपभोक्ता बाजार में इसे सबसे तगड़ी पहचान वाला ब्रांड माना जा रहा है। पतंजलि ब्रांड वैल्यू, वितरण नेटवर्क, लागत में कमी आदि तमाम कारोबारी मानकों पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को खासा पीछे छोड़ चुका है।
डिजाइनिंग और ब्रांडिंग के क्षेत्र का जाना माना चेहरा इतु चौधरी कहते हैं कि पैकेजिंग और डिजाइनिंग के मामले में पतंजलि अन्य एफएमसीजी कंपनियों से कहीं पीछे है। वह कहते हैं कि जिस तरह की अस्पष्टता और भ्रामक पैकेजिंग उसके उत्पादों की होती है उस हिसाब से तो उनकी बिक्री बहुत बुरी होती है लेकिन इसके बावजूद पिछले साल कंपनी के कारोबार में 100 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी जानीमानी कंपनी के कारोबार में केवल 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ऐसे में प्रतिद्वंद्वियों को वजह तो तलाश करनी ही होगी।
दुकानदारों से बात कीजिए तो एक अलग राय सामने आती है। उनका कहना है कि ग्राहकों पर से अनगढ़ता का विपरीत असर होता है। वे उत्पादों की पैकेजिंग के इस कच्चेपन को चीजो की शुद्धता से जोड़कर देखते हैं। बाबा रामदेव अपने ग्राहकों के मन में यह बात बिठाने में कामयाब हो चुके हैं कि पैकेजिंग की खूबसूरती पर ध्यान वे कंपनियां देती हैं जो माल की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देतीं। आश्चर्य नहीं कि बाबा रामदेव के उत्पादों का असली बाजार ग्रामीण भारत में है। उनके उत्पादों का अपेक्षाकृत सस्ता होना तो उनके काम आता ही है साथ ही बाबा रामदेव की राष्ट्रवादी पहचान भी इस काम में उनकी मदद करती है।
कारोबारी जगत के एक दिग्गज कहते हैं कि दुनिया भर में बड़ी कंपनियों की लूट और ठगी को लेकर एक किस्म का अविश्वास पैदा हुआ है। मैगी प्रकरण जैसे मामलों ने आग में घी डालने का काम ही किया है। लोगों को लगता है कि बाबा रामदेव के उत्पाद स्वदेशी हैं तो उनमें मिलावट नहीं होगी या कम होगी। बाबा रामदेव अपने उत्पादों के प्रचार में भी देशप्रेम और राष्ट्रहित की बात करते हैं जो मास को अपील करती है।
आइए एक नजर डालते हैं बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की इस सफलता के संभावित कारणों परः
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की शुरुआत वर्ष 2005 में दवा कंपनी के तौर पर हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे कंपनी ने उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में दखल देना प्रारंभ किया और आज वह देश की दिग्गज उत्पाद कंपनी बन गई है। कैसे?
1. बाबा की छवि- बाबा रामदेव की राष्ट्रवादी संत की छवि ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। बाबा रामदेव की भगवा पोशाक को पेशेवर उनकी जीवनशैली का हिस्सा कम और उनकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग नीति का असर ज्यादा मानते हैं। उनके इस पहनावे की वजह से लोगों में यह भाव संचारित होता है कि भला एक संत गलत सामान कैसे दे सकता है?
2. प्रचार का तरीका- बाबा रामदेव अपने उत्पादों के प्रचार में कई बार देश और राष्ट्र शब्द का प्रयोग करते हैं जो दर्शकों और श्रोताओं को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़े हुए है। यह बात भी उनके पक्ष में जाती है।
3. समय का ध्यान- बाबा रामदेव को समय की नब्ज की गहरी पकड़ है। उदाहरण के लिए मैगी के नूडल्स में गड़बड़ी की खबर सामने आते ही उन्होंने पतंजलि के नूडल्स बाजार में उतार दिए। यह एक सटीक कारेबारी फैसला था।
4. कीमत- बाबा रामदेव ने हिंदुस्तानी बाजार की नब्ज पकड़ ली है। उनके उत्पाद शेष कंपनियों की तुलना में खासे सस्ते होते हैं। उनकी गुणवत्ता पर तो लोग पहले से ही भरोसा करते हैं। ये दोनों बातें मिलकर उनके उत्पादों की बिक्री बढ़वाने वाली साबित होती हैं।
5. पैकेजिंग- जैसा कि हमने शुरू में कहा उनके सामान की पैकेजिंग में जानबूझकर एक खास किस्म की अनगढ़ता और कच्चा पन रखा जाता है जो उनके उत्पादों को आम जनता में विश्वसनीयता प्रदान करता है। इसके अलावा ऐसी पैकेजिंग सस्ती भी पड़ती है जिसका असर लागत और मुनाफे के गुणा गणित पर पड़ता है।
आस्था का कारोबार
हालांकि एक स्तर पर पतंजलि के नाम पर उपभोक्ता धोखे के शिकार भी हो रहे हैं। हालांकि इसमें कंपनी का कोई कुसूर नहीं है। दरअसल उपभोक्ता जितने सामान को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा बनाया गया बताते हैं वह पूरा सच नहीं है। हकीकत यह है कि बाबा रामदेव की यह कंपनी आधे से अधिक बल्कि 70 प्रतिशत उत्पादों की केवल ब्रांडिंग और मार्केटिंग करती है। अर्थात उत्पादों को कहीं और बनवाकर उन पर पतंजलि का लेबल लगा कर बेचा जाता है। यह एक मान्य कारोबारी प्रैक्टिस है जिसे सभी कंपनियां अपनाती हैं लेकिन बाबा रामदेव का मामला अलग है। उनकी पहचान एक संत की है। एक बहुरराष्ट्रीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहते हैं कि बाबा रामदेव जितना शुद्ध शहद और देसी गाय का शुद्द्ध देसी घी जिस हिसाब से बनाने का दावा करते हैं। क्या उतनी गायें या उतनी मधुमक्खियां उनके फार्म में हैं। जाहिर है ऐसा नहीं है। वे दूसरी कंपनियों का माल खरीदकर उन पर अपना लेबल लगाकर बेच रहे हैं।
अभी तो बाबा रामदेव का कारेबार को बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का दावा सही प्रतीत हो रहा है। लेकिन आस्था का कारोबार गुणवत्ता के बाजार में अधिक समय नहीं चलेगा। अगर उत्पाद गुणवत्ता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो समस्या होनी तय है।