गायों का भी आधार जैसा नंबर होना चाहिए : केंद्र ने SC से ऐसा क्यों कहा?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक रोचक योजना के बारे में अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को सौंपी है, जिसका सरकार द्वारा विगत मंगलवार सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट से आज खुलासा हुआ. गोरक्षा को लेकर देश में मचे बवाल के बीच पशुओं की सुरक्षा और देखरेख को लेकर केंद्र सरकार की एक अहम योजना के बारे में यह पता चला है कि केंद्र गायों के लिए भी आधार कार्ड जैसी यूनिक आइडेंटिटी योजना लागू करना चाहता है.
बांग्लादेश की सीमा से बड़े पैमाने पर पशुओं की तस्करी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह UID जैसी व्यवस्था के जरिए गायों को लोकेट और ट्रैक करना चाहती है. इससे गाय की नस्ल, उम्र, रंग और बाकी चीजों का ध्यान रखा जा सकेगा. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि भारत और बांग्लादेश की सीमा से बड़े पैमाने पर पशुओं की तस्करी हो रही है. सरकार के मुताबिक, पशुओं की हिफाजत और देखरेख के मुद्दे पर जॉइंट सक्रेटरी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसने कुछ खास सिफारिशें की हैं.
दूध देना बंद करने पर खास ध्यान रखा जाना
अपनी रिपोर्ट में केंद्र ने कहा है कि आवारा पशुओं की सुरक्षा और देखरेख का जिम्मा राज्य सरकार का है. एक अन्य सिफारिश के मुताबिक, हर जिले में कम से कम 500 पशुओं की क्षमता वाला संरक्षण गृह होना चाहिए. इससे पशुओं की तस्करी में कमी आएगी. एवं रिपोर्ट में यह भी कहा कि देश की हर गाय और उसके बछड़े को ट्रैक करने के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होना चाहिए. पशुओं के दूध देने की उम्र के बाद उनका खास ख्याल रखे जाने को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं.
बांग्लादेश में मिलती है मुंह मांगी कीमत
बांग्लादेश में भारतीय गायों की मुंह मांगी कीमत मिलती है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF के मुताबिक भारत से हर साल करीब साढ़े तीन लाख गायों को चोरी छिपे बांग्लादेश सीमा पार करवाकर बेचा जाता है. तस्करी का सालाना कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है.
असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट
गृह मंत्रालय के मुताबिक साल 2014 और 2015 के दौरान BSF ने 34 गाय तस्करों को मुठभेड़ में मार गिराया, बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया से तस्करी करने के लिए ले जाई जा रही 200 से 250 गायों को BSF रोजाना बरामद करती है. असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है. यहां से बांग्लादेश की करीब 263 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. यही बॉर्डर असम से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है.
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