डिग्री विवाद में स्मृति को कोर्ट से बड़ी राहत
नई दिल्ली। पिछले एक साल से डिग्री विवाद में रही केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने स्मृति के ख़िलाफ़ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने शिकायतकर्ता की मंशा पर सवाल उठाए है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की शिकायत करने में 11 साल लग गए यानी जाहिर है कि मंत्री को परेशान करने की मंशा से शिकायत की गई थी। कोर्ट ने आगे कहा कि यदि स्मृति मंत्री नहीं होती तो अर्जी दाखिल ही नहीं की जाती।
बता दें कि अप्रैल 2015 में स्मृति ईरानी के खि़लाफ़ अहमद ख़ान नाम के व्यक्ति ने याचिका दायर की थी। अपनी याचिका के ज़रिए ख़ान स्मृति पर आरोप लगाया था कि वह अपनी डिग्री से देश को गुमराह कर रही हैं। ख़ान ने बताया, ईरानी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में दी सूचना में खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार से 1996 बैच का बीए स्नातक बताया है। तब स्मृति ने चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने सूचना में खुद को बीए पास (कला स्नातक ) बताते हुए 1996 में डिग्री पूरी करने की बात की थी।
इसके बाद 2011 में राज्यसभा में परचा भरते समय दिए उन्होंने खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ करसपांडेंट (पत्रचार) से बीकॉम बताया था। इतना ही नहीं पिछले (2014) लोकसभा चुनाव अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए दाखिल अपने तीसरे हलफनामे में ईरानी खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रचार से बी कॉम बताया है। बता दें कि ख़ान की याचिका के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 65(ठ) के चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वे स्मृति की डिग्री से जुड़े दस्तावेज कोर्ट को सौंपे। ताकि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक डाटा से ईरानी के सर्टिफिकेट का मिलान कर सके। कुछ दिनों पहले चुनाव आयोग ने इस मामले से जुड़े ज़रूरी दस्तावेज कोर्ट को सौंप दिए थे।