कठिन सवालों के लिए नहीं मिलेंगे एक्स्ट्रा अंक, सीबीएसई ने खत्म की नीति
सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति को खत्म करने की घोषणा की है। इस नीति के तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते थे। ये फैसला उच्च स्तरीय बैठक के दौरान लिया गया है। मॉडरेशन नीति के तहत बोर्ड परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में कुछ सवालों पर 15 प्रतिशत ज्यादा अंक देती थी। हालांकि अगर कोई छात्र कुछ नंबर से परीक्षा पास करने में वंचित रह जाता है तो ऐसे में ग्रेस अंके देकर पास करने का प्रावधान जारी रहेगा। लेकिन बोर्ड को स्टूडेंट की मार्कशीट पर इसका जिक्र करना होगा साथ ही अपने पोर्टल पर बताना होगा कि ग्रेस माक्र्स का क्या सिस्टम है।
बताया जा रहा है कि कॉलेज एडमिशन मे बढ़ते कॉम्पीटीशन और 95 फीसदी से अधिक नंबर स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए ही ऐसा फैसला लिया गया है। पिछले साल दिसंबर में इस बारे में सीबीएसई ने एमएचआरडी से मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म किए जाने की अपील की थी। पिछले कई साल में छात्रों को इस पॉलिसी की वजह से लगभग 8 से 10 अंक तक ज्यादा मिले हैं। इस कारण 95 फीसदी और इससे ज्यादा अंक स्कोर करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई है।
सीबीएसई में साल 2006 में 384 छात्रों को 95 फीसदी और उससे ज्यादा अंक मिले। जबकि ये संख्या साल 2014 में बढ़कर 8971 तक पहुंच गई थी। ऐसे में कॉम्पीटीशन लेवल बहुत बढ़ गया। नामांकन के समय कटऑफ हाई जाने की वजह से छात्रों को एडमिशन मिलने में परेशानी होने लगी। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है।
एचआरडी मिनिस्ट्री के स्कूल एजुकेशन सेके्रटरी अनिल स्वरूप ने साफ कर दिया है कि इस साल से कोई भी बोर्ड 12वीं में मॉडरेट मार्किंग नहीं करेगा। स्टूडेंट्स की आंसर शीट के हिसाब से ही नंबर दिए जाएंगे और ऐसे ही किसी के नंबर नहीं बढ़ाए जाएंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दो कॉलेजों में तो एडमिशन के लिए कटऑफ 100 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जिसके बाद मॉडरेट मार्किंग को लेकर सवाल उठने लगे।
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