First ODI WORLD CUP : जब इस महान क्रिकेटर ने 174 गेंदों में बनाए थे सिर्फ 36 रन
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व महान बल्लेबाज और टेस्ट क्रिकेट में 34 शतक जड़ने वाले खिलाड़ी सुनील गावस्कर को अपने समय का स्टार बल्लेबाज कहा जाता था। कई क्रिकेट के जानकार और कई पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर को सचिन तेंदुलकर की तुलना में कहीं बेहतर बल्लेबाज मानते हैं। उन लोगों का कहना है कि गावस्कर ने दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज का सामना किया था। सुनील गावस्कर ने अपने क्रिकेट करियर में कई ऐतिहासिक पारियां खेलकर अपने महान क्रिकेटर होने के दावे को साबित भी किया है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस क्रिकेटर की उस पारी को जिसे खुद गावस्कर भी भूलना नहीं चाहेंगे।
सुनील गावस्कर ही दुनिया के पहले ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन के आंकड़े को छूआ था। गावस्कर ने आज ही के दिन मतलब सात जून को ही एक ऐसी पारी खेली थी, जिसे क्रिकेट जगत के इतिहास में सबसे विवादास्पद पारी के रुप में जाना जाता है।
उन्होंने यह पारी 31 साल पहले खेली थी और क्रिकेट जगत के हिसाब से यह दिन क्रिकेट की दुनिया का सबसे ऐतिहासिक दिन था। क्योंकि इसी दिन वनडे क्रिकेट के सबसे बड़े महाकुंभ वर्ल्ड कप के पहले टूर्नामेंट की शुरुआत की गई थी। उस समय एक मैच में 60 ओवर फेंके जाते थे। उस समय पहले वनडे वर्ल्ड कप की मेजबानी इंग्लैंड कर रहा था और भारत का पहला मैच भी मेजबान इंग्लैंड से ही था जिसमें गावस्कर ने पूरे 60 ओवर तक बल्लेबाजी की थी और उन्होंने 174 बॉलों का सामना करके महज 36 रन की नाबाद पारी खेली थी। कहा जाता है कि गावस्कर ने यह धीमी पारी वनडे क्रिकेट का विरोध करने के लिए खेली थी।
मेजबान इंग्लैंड ने लॉर्ड्स के मैदान पर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 60 ओवरों में चार विकेट के नुकसान भारत के सामने 334 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था। जिसके जवाब में उतरी भारतीय टीम 60 ओवर में 3 विकेट खोकर सिर्फ 132 रन ही बना सकी थी। इसी मैच में गावस्कर ने 174 बॉलों का सामना करके एक चौके की मदद से सिर्फ 36 रन बनाए थे।
कई सालों बाद इस महान क्रिकेटर ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि यह पारी उनकी जिंदगी की सबसे खराब पारी थी और उस समय वे पूरी तरह से आउट ऑफ फॉर्म थे। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार अपने स्टंप इस तरह से छोड़े थे कि मैं बोल्ड हो जाऊं, क्योंकि यही एक ऐसा तरीका था, जिससे मैं उस समय की मानसिक पीड़ा से बच सकता था। लेकिन मैं न तो रन बना पा रहा था और न ही आउट हो पा रहा था।
गावस्कर ने अपनी इस सबसे खराब पारी के 12 साल बाद साल 1987 में हुए चौथे वर्ल्डकप में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक ऐसी पारी खेली थी जो उनके वनडे क्रिकेट करियर में मील का पत्थर बन गई। इस पारी में उन्होंने अपने वनडे क्रिकेट करियर का एकमात्र शतक जड़ा था।न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए इस मुकाबले में भारत को न्यूजीलैंड ने जीत के लिए 222 रनों का लक्ष्य दिया था। जिसमें गावस्कर ने महज 88 गेंदों का सामना करते हुए ताबड़तोड़ 10 चौके और 3 छक्के की मदद से नाबाद 103 रन की विस्फोटक पारी खेली थी। गावस्कर ने जहां अपने पहले वनडे विश्व कप मैच में क्रिकेट जगत की सबसे शर्मनाक नाबाद 36 रन की पारी खेली थी और वहीं अपने क्रिकेट करियर के आखिरी वनडे विश्व कप मैच में उन्होंने तूफानी अंदाज में 103 रनों की धुंआधार पारी खेली थी।