ये है भारत का ‘टाइगर’, जिससे डरता है पाकिस्तान
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आपने अभी तक भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और उसके एजेंटो पर बनी कई फिल्में देखी होंगी। जिसमें किसी न किसी रॉ एजेंट की कहानी बताई जाती हैं। रॉ एजेंट पर बनी फिल्म ‘एक था टाइगर’ बॉलीवुड में काफी फेमस हुई थी। बॉलीवुड में रॉ और आईबी के कई एजेंट और मिशन पर फिल्में तो बनती ही रहती है। लेकिन हम बताने जा रहे हैं आपको रियल टाइगर के बारे में। हम बात कर रहे है वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की। जो किसी समय इन्टेलीजेंस ब्यूरों के एजेंट हुआ करते थे। इन्होंने पाकिस्तान में रहकर 7 सालों तक देश की रक्षा के लिए जासूसी की। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में कुछ ख़ास बातें…
उत्तराखंड के पौढ़ी गड़वाल से आने वाले डोभाल ने कई ऐसे खतरनाक कामों को अंजाम दिया है जिसके आगे जेम्स बांड भी फीके लगने लगे। वर्तमान में वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है अभी भी उनसे कई बड़े-बड़े मंत्री सहमे रहते हैं। अजीत डोभाल अजमेर के मिलिट्री स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। इसके बाद आगरा विश्वविधालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में एम.ए. कर पहला स्थान अर्जित किया। डोभाल केरल कैडर के 1986 बैच के आईपीएस ऑफिसर थे। 1972 में उन्होंने भारत की खुफिया एजेंसी आईबी ज्वाइन की थी।
पाकिस्तान में सात सालों तक बने रहे जासूस
डोभाल को पाकिस्तान में जासूसी करने के लिए काफी जाना जाता है। डोभाल ने पाकिस्तान में सात साल तक एक रिक्शेवाले का वेश बनाकर जासूसी की। भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से ऑपरेशन सफल हो सका। इस समय उन्होंने ऐसे जासूस की भूमिका निभाई थी जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत कर उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
प्लेन हाईजैक को किया असफल
अजीत डोभाल ने कई एयरलाइन्स के हाइजैक की घटनाओं को टाला था। साल 1971 से लेकर 1955 तक उन्होंने पांच इंडियन एयलाइन्स के विमानों के संभवित अपहरण की घटनाओं को टाला था। 1999 में कांधार में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार के तौर पर अजित डोभाल ही थे।
कश्मीर में किया था उग्रवादियों का सामना
अजीत डोभाल ने कश्मीर में भी काफी उल्लेखनीय काम किया था। उन्होंने उग्रवादी संगठनों में घुसकर उनका हिस्सा बनकर उगवादी धारा को ही मोड़ दिया था। वे उग्रवादियों के शांतिरक्षक बन गए थें उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
उत्तर भारत में ललडेंगा को किया मजबूर
अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
म्यांमार में किया था सर्जिकल स्ट्राइक
डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
अजीत डोभाल काफी तेज दिमाग है और उनकी शैली प्रखर हैं। इसी वजह से उन्हें उच्च सम्मान अर्जित किए गए है। डोभाल सामरिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर प्रसिद्ध अग्रणी विश्लेषकों और टिप्पणीकारों में से एक है। वह अपनी सराहनी सेवा एवं काम के लिए पुलिस पदक पाने वाले अब तक के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी है। 1988 में उन्हें सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया गया था। हाल ही में उरी हमलें के बाद पीओके में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे भी अजीत डोभाल का ही दिमाग था।
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