IIM इंदौर में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक का आयोजन
भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर में दिनांक 03 फरवरी 2017 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति इंदौर की 65वीं बैठक एवं वार्षिक समारोह का आयोजन श्री एम एस पवांर, आयकर आयुक्त (अपीलीय), मुख्य आयकर आयुक्त कार्यालय, इंदौर की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों में भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर के संकायाध्यक्ष (अकादमी), प्रोफ़ेसर कमल किशोर जैन, सदस्य आयकर एवं अपीलीय अधिकरण इंदौर से श्री ओ.पी मीणा, भारतीय प्रबंध संस्थान के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री के.टी उडुपा(सेवानिवृत), नराकास के सदस्य सचिव डॉ. देवेश कुमार त्यागी, उपनिदेशक (राजभाषा), सुश्री प्रज्ञा तथा इंदौर शहर स्थित केन्द्र सरकार के 62 कार्यालयों के कार्यालय प्रधान/ प्रशासनिक अधिकारी/ राजभाषा अधिकारी/ प्रभारी तथा नोडल अधिकारी उपस्थित रहें।
विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी सादर आमंत्रित थे। कार्यक्रम सरस्वती वंदना तथा गोवा की माननीय राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा द्वारा रचित गीत हिंदी भारत मां की बिंदी की प्रस्तुति से हुआ। सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत राजभाषा अधिकारी श्री जयनाथ यादव ने किया। इस अवसर पर समिति के सदस्य कार्यालयों की राजभाषा की प्रगति की समीक्षा की गई तथा पाई गई कमियों के निवारण के सुझावों पर च्रर्चा हुई, सभी सदस्यों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।
नगर राजभाषा समिति द्वारा हिंदी उत्सव के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को प्रसस्ति पत्र एवं नगद पुरस्कार प्रदान किये गए। इस अवसर पर भारतीय प्रबंध संस्थान की गृह पत्रिका ज्ञान शिखर का विमोचन किया गया तथा उसके रचनाकारों को भी नगद मानदेय देकर पुरस्कृत किया गया तथा भारतीय प्रबंध संस्थान की विभिन्न गतिविधियों का पॉवर प्वाइंट प्रस्तुति श्री राजेश श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
सभी मंचासीन अधिकारियों ने उपने उद्बोधन में राजभाषा के विकास को बढ़ाने के संकल्प को दुहराया। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कर्नल उड़ुपा ने जोर देकर कहा कि राजभाषा में प्रशासनिक कार्य करना हमारी जिम्मेदारी है और इसे करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान में केवल दो साल पहले ही संसदीय राजभाषा समिति के निरीक्षण के बाद हिंदी में कार्य करना प्रारंभ हुआ है तथा एक साल पहले ही राजभाषा विभाग खोला गया है। इन दो वर्षो में संस्थान ने तेजी से राजभाषा के क्रियान्वयन में आगे कदम बढ़ाया है तथा वार्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में काफी नजदीक है।
संस्थान में लगभग 75 से 80 प्रतिशत प्रशासनिक कार्य राजभाषा हिंदी के माध्यम से हो रहा है। अगर तेजी से राजभाषा कार्यान्वयन के विकास के लिए कोई पुरस्कार होता हो , निःसंदेह उसका हम प्रवल दावेदार होते। प्रो. कमल जैन ने कहा कि हम दो भाषा का उपयोग करते है । एक कृतिम भाषा तथा दूसरा स्वभाषा। आज इतने वर्षों बाद इस मंच से स्वभाषा में बोलना काफी अच्छा लग रहा है। भाव मन से प्रवाहित होकर आप तक बिना रूकावट के पहुच रहें है. अपनी भाषा में रूक पाना मुश्किल होता है। सदस्य आयकर अपीलीय अधिकरण श्री ओपी मीणा ने राजभाषा के नियमों की बारीकियों एवं प्रगति रिपोर्ट के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसे सावधानी से भरनी चाहिए। इसकी कमियों को संसदीय समिति काफी गंभीरता से लेती है। अपने उद्बोधन में अध्यक्ष महोदय ने राजभाषा के प्रचार- प्रसार पर जोर देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया । अंत में बैठक श्री एम एम वैद्या के धन्यवाद ज्ञापन से संपन्न हुई।
- - Advertisement - -