अब देश में भीख मांगना नहीं होगा गैरकानूनी
नई दिल्ली। जी हां, अब देश में भीख मांगना गैरकानूनी नहीं माना जाएगा। इस बात की जानकारी केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार ने दी है। दरसअल, गुरुवार को सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार हो गया है। विधेयक में भिखारियों व बेघर लोगों के पुर्नवास की भी योजना है। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की बेंच कर रही है।
विधेयक तैयार करने से पहले हुई थी बैठक
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के वकील कौशल कुमार ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ को बताया कि विधेयक तैयार करने से पहले कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई है। उनकी राय ली गई थी। बैठक में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा था कि जरूरतमंद लोगों को सुरक्षा, आवास, भोजन, प्रशिक्षण आदि मुहैया कराने की नीति विधेयक में होनी चाहिए। इस बैठक में बताया गया है कि मंत्रालय भिखारियों व अभाव में रहने वाले लोगों का पुनर्वास करना चाहता है न कि दंड देना।
एक्सपर्ट्स की सिफारिश पर बने नियम
अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान में इस बारे में कोई केंद्रीय कानून नहीं है। अभी कई राज्यों में बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट 1959 का पालन होता है, जिसके तहत भीख मांगना गैर कानूनी है। विशेषज्ञों की नेशनल कंसल्टेशन मीटिंग की सिफारिशों के बाद इस बारे में नियम बनाए गए हैं। बता दें कि कर्निका साहनी ने वर्ष 2000 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि भिखारियों को साफ कपड़े, खाना व रहने की जगह मुहैया कराई जाए। कमेटी का गठन हो जो भिखारियों की बेहतरी के लिए काम करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को इसी साल 30 जनवरी को हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।