17 साल पुराने सेनारी नरसंहार पर कोर्ट का बड़ा फ़ैसला
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बिहार के बहुचर्चित सेनारी हत्याकांड पर मंगलवार को जहानाबाद कोर्ट का बड़ा फ़ैसला आया है। कोर्ट ने इस मामले में 15 दोषियों में से 10 को फांसी और 3 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। दो दोषी अभी भी फरार है। बता दें कि पहले 27 अक्टूबर अदालत ने 15 आरोपियों को दोषी करार दिया था, जबकि 23 अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित कर दिया था।
ग़ौरतलब है कि जहानाबाद से अलग हुए वर्तमान अरवल जिला के सेनारी गांव के पास लोगों को इकट्ठा कर एक जाति विशेष के 34 लोगों की 18 मार्च 1999 को गला रेतकर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में 74 लोगों के ख़िलाफ़ 2002 में आरोपपत्र दायर किया गया था और 56 के ख़िलाफ़ ट्रायल शुरू किया गया जबकि 18 अन्य फरार थे। बाद में अदालत द्वारा 45 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र गठित किया गया जिनमें दो की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गयी थी।
इस हत्याकांड के 66 गवाहों में से 32 ने सुनवाई के दौरान गवाही दी थी। इस खौफनाक हादसे के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि हमलावरों ने उसे मरा समझकर गड्ढे में फेंक दिया था। वे एक-एक कर लोगों की गर्दन रेत कर गड्ढे में लाशों को फेंकते जा रहे थे। बता दें कि इस खौफनाक वारदात की शिकार हुई चिन्ता देवी के बयान पर गांव के 14 लोगों सहित कुल 70 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। चिंता देवी के पति अवध किशोर शर्मा व उनके बेटे मधुकर की भी वारदात में हत्या कर दी गई थी। हालांकि पांच साल पहले चिंता देवी की भी मौत हो चुकी है।
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