बांग्लादेश से रिहा हुआ गुलशन कुमार का हत्यारा
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म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार के हत्यारे अब्दुल रउफ मर्चेंट को बांग्लादेश सरकार ने रिहाई दे दी है। बता दें कि नकली पासपोर्ट रखने के मामले में मर्चेंट साल 2009 से बांग्लादेश की जेल में बंद था। हालांकि रिहाई के बाद भी वह बांग्लादेश पुलिस की कस्टडी में है। मर्चेंट का गुलशन कुमार की हत्या के आरोप में अप्रैल 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अब्दुल रउफ को अंडरवर्ल्ड डॉन का बेहद करीबी माना जाता है।
बांग्लादेश भारत को सौंप सकता है मर्चेंट
बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां ख़ान कमाल ने बताया कि, ”भारत और बांग्लादेश के बीच हुई स्पेशल एक्रिडिएशन ट्रीट्री के बाद उसे भारत को सौंप दिया जाएगा।” इसके साथ ही बांग्लादेश सरकार ने तय किया है कि जिन विदेशी कैदियों की सजा पूरी हो चुकी हैं उन्हें भी वह उनके देश लौटा देगा। इसके लिए बांग्लादेश के गृहमंत्री सजा काट चुके व्यक्तियों के देश से संपर्क करने में लगे हुए हैं।
कब और कैसे हुई थी गुलशन की हत्या?
-गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को हुई थी। उन पर हमला उस समय किया था जब वे मुम्बई के जीतेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा करने के लिए गए थे। इस मामले में नदीम-श्रवण संगीतकार जोड़ी नदीम सैफ का नाम सामने आया था।
-गुलशन कुमार मर्डर केस की जांच कर रही मुंबई पुलिस के अनुसार गुलशन की हत्या करने के लिए नदीम ने दाऊद इब्राहिम की मदद ली थी। दाऊद के मर्चेंट और उसके साथी अब्दुल रशीद ने मंदिर के बाहर गुलशन पर गोली चलाई थी। हालांकि गुलशन के मर्डर के दौरान नदीम लंदन में था। उसके बाद वह लंदन में जाकर रहने लग गया था।
नदीम को वापस भारत लाना चाहती थी सरकार
-गुलशन की हत्या के बाद से ही भारत सरकार नदीम को भारत लाने की कोशिश कर चुकी है। लेकिन उस समय सरकार को कामयाबी नहीं मिली। इसका कारण यह था कि ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने नदीम के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि नदीम पर हत्या का आरोप किसी साजिश के तहत लगाया गया था। इसी के साथ नदीम को भारत वापस लाने का मामला खारिज हो गया था।
-वहीं दूसरी ओर पुलिस भी अदालत में इस मामले में नदीम के शामिल होने के आरोप को साबित नहीं कर पाई थी। इसका कारण यह था कि जब पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी उस समय नदीम लंदन में था। सूत्रों की माने तो नदीम-श्रवण की जोड़ी को संगीत और बॉलीवुड की दुनिया में लाने वाले गुलशन कुमार ही थे। लेकिन कुछ समय बाद ही नदीम का गुलशन कुमार के साथ विवाद हुआ था।
2002 में मुम्बई कोर्ट ने दाऊद मर्चेंट को माना था दोषी
-इस मामले में साल 2002 में मुम्बई की एक अदालत ने 19 आरोपियों में से केवल एक ही व्यक्ति को दोषी ठहराया था और वह कोई और नहीं बल्कि अब्दुल रउफ दाऊद मर्चेंट था। इस हत्या के लिए कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन साल 2009 में कोर्ट ने दाऊद मर्चेंट को 14 दिन की पैरोल पर छोड़ा था। दाऊद मर्चेंट की ओर से बताया गया था कि उसके किसी परिवार के सदस्य की हालत ठीक नहीं है।
-इस बात को जानने के बाद कोर्ट ने मर्चेंट को इस शर्त पर छोड़ा था कि वह हर दिन थाने में हाजिरी देगा। शुरुआत के सात दिनों तक तो दाऊद मर्चेंट थाने में आया लेकिन सात दिनों के बाद वह अचानक गायब हो गया। मर्चेंट का नाम सामने आने के बाद नदीम का मामला वहीं खत्म हो गया। हालांकि नदीम के गिरफ़्तारी के वारंट को अब तक वापस नहीं लिया गया।
बांग्लादेश पुलिस ने दाऊद मर्चेंट को किया था गिरफ़्तार
-खुफिया पुलिस की जांच में पता चला था कि वह बांग्लादेश भाग गया है। बांग्लादेश जाने पर अब्दुल रउफ को वहां की पुलिस ने नकली बांग्लादेशी पासपोर्ट रखने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था। उस समय लेकर अब तक वह जेल में ही रहा है। इसी बीच भारत सरकार ने उसे भारत लाने की कोशिश की लेकिन सरकार उसे ला न सकी।
क्यों हुई थी गुलशन कुमार की हत्या?
-इस मामले की जांच कर रही पुलिस के अनुसार गुलशन कुमार की कैसेट कम्पनी टी सीरीज की कामयाबी को देखते हुए गुलशन से बड़ी रकम की मांग की गई थी। लेकिन गुलशन ने इस रकम को देने से इन्कार कर दिया था।
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