ये है देश की पहली ट्रांसजेंडर मॉडल एकेडमी, दिलाती है ऐड और मैग्जीन में काम
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भारत में एक ओर जहां पर ट्रांसजेंडर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक ऐसी एकेडमी भी है जो ट्रांसजेंडर मॉडल एकेडमी हैं। कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया था कि ट्रांसजेंडर को नौकरी और अन्य जगहों पर पिछड़ा वर्ग के समान रिजर्वेशन दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसलें से ट्रांसजेंडर वर्ग को काफी राहत मिली है। लेकिन हम बात यहां पर उनके आरक्षण की नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर मॉडल एकेडमी की कर रहे है। वेस्ट दिल्ली में स्थित ये एकेडमी लेस्बियन, ट्रांसजेंडर, बायोसेक्सुअल समूह के लोगों को मॉडलिंग के लिए तैयार करते है। इस एकेडमी में इन्हे प्रशिक्षण देने से नौकरी दिलाने तक का काम किया जाता है।
कैसे हुई शुरूआत
इस एकेडमी की शुरूआत दिल्ली की ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रूद्राणी क्षेत्री ने की थी। उन्होने बताया कि कई सारी सुंदर किन्नरों को निराशा में बदसूरती का अहसास करते हुए देखा है। जब वे खुद जवान थी तो उनके पास ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं था लेकिन वे ट्रांसजेंडर्स के लिए अब ये करना चाहती है। ट्रांसजेंडर के अंदर ये भावना काफी तीव्र होती है कि ‘‘समाज उन्हे स्वीकारें और वे भी सारे काम कर सके जो दूसरे लोग करते है। उन्होने बताया कि इस एजेंसी के खुलने से ट्रांसजेंडर समाज की मुख्यधारा के साथ अपने इस सपने को पूरा कर रहे है। इसी सोच के साथ रूद्राणी ने मित्र ट्रस्ट की स्थापना की थी।
क्या है उद्देश्य
मित्रा ट्रस्ट का एक ही उद्देश्य है कि वे ट्रांसजेंडर को समाज के साथ जोड़ सके उन्हे समाज के बीच काम दिला सके। इस मॉडल एजेंसी के कारण अब ट्रांसजेंडर को कई फैशन मैग्जीन में काम दिलाया जाएगा। इसके लिए वे पूरे देश में ऑडिशन लेकर टॉप 5 ट्रांसजेंडरों को चुनते है और फिर उन्हे फैशन मैग्जीन या मॉडलिंग में काम दिलाया जाता हैं।
क्या है ट्रांसजेंडरों की स्थिति
भारत में वर्ष 2014 की जनगणना के अनुसार अकेले भारत में ही 4 लाख 90 हजार ट्रांसजेंडर है। इसके अलावा दिल्ली में 1500 से भी ज्यादा ट्रांसजेंडर है। भारत में अभी तक इस तरह की कोई ट्रांसजेंडर मॉडल एकेडमी अस्तित्व में नहीं आई है। ये देश की पहली ट्रांसजेंडर मॉडल एकेडमी है जो ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रूद्राणी क्षेत्री के प्रयासों से खुली है। इस एकेडमी के कारण ट्रांसजेंडर्स को एक अलग पहचान मिल पाने में हेल्प मिलेगी। भारत के अलावा इस तरह की एजेंसी थाईलैंड और अमेरिका जैसे देशों में पहले से काम कर रहीं है।
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