इंजीनियरिंग छोड़कर पॉलिश किए जूते, ऐसे बना करोड़पति
यहां से शुरू हुई कहानी
संदीप विदेश की नौकरी छोड़ अपने घर लौट आए। घर की आर्थिक स्थिती को देखते हुए ऐसा बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया जिसमें कम इनवेस्टमेंट मगर अच्छी इनकम हो जाऐ। काफी सोच विचार करने के बाद संदीप ने शू पॉलिश का काम करने का फैसला किया।
सबने बनाया मज़ाक
जब अपने इस बिज़नेस का आइडिया संदीप ने सबको बताया तो सबने उनका खुब मज़ाक उड़ाया जिसमें संदीप के घरवाले और दोस्त भी शामिल थे लेकिन संदीप ने हार नहीं मानी और अपना काम करते रहे। कुछ महिनों तक शू पॉलिशींग करने के बाद पूराने जूतों को रिनोवेट करने का एक नया आइडिया आया। इसी तरह 2003 में देश की पहली शू लॉड्री कंपनी खोली। उन्हे 50 ऑर्डर प्रतिदिन की दर पर प्राप्त होते थे जिसमें वे लोगों के लिए पिकअप और डिलीवरी का भी काम करने लगे।
नुकसान होते हुए भी नहीं की कंपनी बंद
संदीप ने बताया जूता रिपेयर करने और साफ करने तक की महज़ फीस 99 रूपये होती थी। पिकअप और डिलीवरी खर्च मिलाकर 150 रूपये से भी ज्यादा चला जाता था लेकिन संदीप को अपने यूनिक बिज़नेस आइडिया पर इतना विश्वास था कि 20 लाख के नुकसान में भी वह बिज़नेस चलाते रहे।
विदेशों में बनाई अपनी पहचान
वही अब तक संदीप की कंपनी देश के कई राज्यों में फेमस हो गई थी। इतना ही नहीं केन्या, भूटान जैसे देशों में भी संदीप की कंपनी की गुडविल काफी अच्छी बन गई। नाइक, रिबोक, पुमा, फिला जैसी कई बड़ी कंपनियां आज संदीप की कम्पनी से जुड़ी हैं। मुम्बई के अंधेरी से शुरू हुई ये कहानी देश से दुनिया तक कब पहुची ये वे खुद भी नहीं जान पाए। दुनिया वालों के उपहास बनाने पर भी संदीप ने वहीं किया जो उन्हे सही लगा। संदीप ने अपने दिल की सुनी और आज़ सफलता उनके कदम चूम रही है।
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